PM मोदी ने अहमदाबाद में पाकिस्तान को दी सख्त चेतावनी, वहीं शहबाज शरीफ ने ईरान से भारत के साथ शांति वार्ता की अपील की। जानिए पूरी खबर।
अहमदाबाद की जनसभा में गरजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के अहमदाबाद में आयोजित एक विशाल जनसभा में पाकिस्तान को लेकर बेहद सख्त रुख अपनाया।
अपने भाषण के दौरान मोदी ने साफ शब्दों में पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा,
“अगर पाकिस्तान चैन से रोटी नहीं खाएगा, तो याद रखे – मोदी की गोली तैयार है।”
यह बयान न केवल भारत की बढ़ती सुरक्षा सजगता को दर्शाता है,
बल्कि यह भी बताता है कि अब भारत पाकिस्तान की किसी भी हरकत को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है।
मोदी का इशारा: आतंकवाद बर्दाश्त नहीं
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में पाकिस्तान द्वारा लंबे समय से फैलाए जा रहे आतंकवाद और घुसपैठ की गतिविधियों का भी जिक्र किया।
उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब पाकिस्तान को यह समझना होगा कि भारत शांतिप्रिय जरूर है,
लेकिन उसकी चुप्पी को कमजोरी समझना उसकी सबसे बड़ी भूल होगी।

पाकिस्तान का घबराया नेतृत्व: शहबाज शरीफ ने ईरान से लगाई गुहार
भारत से शांति की अपील के लिए ईरान से मदद मांगी
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए ईरान से अपील की है कि वह भारत के साथ शांति बहाल करवाने में मदद करे।
उन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा,
“ईरान भारत से शांति की बात करवाए, फिर देखिए पाकिस्तान कितनी शांति चाहता है दोनों देशों के बीच।”
यह बयान इस बात का संकेत है कि पाकिस्तान अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने कमजोर होते कूटनीतिक कद को सुधारने की कोशिश कर रहा है।
कश्मीर और जल विवाद पर वार्ता की इच्छा
शहबाज शरीफ ने आगे यह भी कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ कश्मीर और जल बंटवारे के मुद्दों पर बातचीत करना चाहता है।
हालांकि यह मांग कोई नई नहीं है, लेकिन जिस तरीके से ईरान को मध्यस्थ बनाने की बात की गई,
वह पाकिस्तान की वर्तमान स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है।
पाकिस्तान की स्थिति दयनीय: पानी के लिए तड़प रहा है
जल संकट ने खोली पाकिस्तान की पोल
शहबाज शरीफ के बयान और ईरान से मदद की अपील ने इस बात को उजागर कर दिया है कि पाकिस्तान पानी के संकट से बेहद परेशान है।
सिंधु जल संधि को लेकर पहले भी पाकिस्तान भारत पर दबाव बनाने की कोशिश करता रहा है,
लेकिन अब हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि उन्हें दूसरे देशों के सामने गिड़गिड़ाना पड़ रहा है।
पानी के बिना कर रहा है छटपटाहट
पाकिस्तान की नदियों का अधिकतर स्रोत भारत से होकर गुजरता है, और भारत के पास अब तकनीकी व सामरिक दोनों तरीके हैं जिससे वह इस जल प्रवाह को नियंत्रित कर सकता है।
इसी आशंका के चलते पाकिस्तान की बेचैनी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
भारत का जवाब: सबूतों के साथ पाकिस्तान को किया बेनकाब
पूरी दुनिया को दिखाए सबूत
भारत ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान की हरकतों के पुख्ता सबूत पेश किए हैं – चाहे वह आतंकवाद को समर्थन देना हो या सीमा पार घुसपैठ।
संयुक्त राष्ट्र, FATF और G20 जैसे मंचों पर भारत ने बार-बार पाकिस्तान की असलियत को दुनिया के सामने रखा है।
पाकिस्तान की बौखलाहट: सिर्फ आरोप, कोई प्रमाण नहीं
जहां भारत ठोस दस्तावेज और तकनीकी रिपोर्ट के साथ दुनिया को समझा रहा है,
वहीं पाकिस्तान केवल आरोप लगाकर, चिल्लाकर खुद को सही साबित करने की कोशिश कर रहा है – बिना किसी प्रमाण के।
इससे उसकी अंतरराष्ट्रीय साख और भी कमजोर होती जा रही है।
विश्लेषण: पाकिस्तान की डगमगाती कूटनीति और भारत का उभरता आत्मविश्वास
पाकिस्तान की स्थिति – ‘न घर का न घाट का’
पाकिस्तान इस वक्त घरेलू और अंतरराष्ट्रीय मोर्चे पर चौतरफा दबाव में है।
एक तरफ उसे पानी और आतंकवाद को लेकर भारत से खतरा महसूस हो रहा है, दूसरी तरफ अर्थव्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दे जनता को परेशान कर रहे हैं।
ऐसे में शहबाज शरीफ का यह बयान कि “ईरान भारत से शांति करवाए,” उनकी कमजोर होती पकड़ को दर्शाता है।
भारत का रुख – सशक्त और निर्णायक
दूसरी ओर, भारत अब किसी भी तरह की उकसावे की कार्रवाई का जवाब “कूटनीति के साथ-साथ शक्ति” से देने को तैयार है।
मोदी सरकार की रणनीति स्पष्ट है – पहले सबूत पेश करके अंतरराष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करना,
फिर ज़रूरत पड़ने पर सख्त कार्यवाही करना।
क्या शांति संभव है?
पाकिस्तान की मंशा पर सवाल
हालांकि पाकिस्तान बातचीत की बात कर रहा है,
लेकिन बार-बार हुए संघर्षविराम उल्लंघन और आतंकवाद को संरक्षण देने के रिकॉर्ड इसकी मंशा पर सवाल खड़ा करते हैं।
क्या वह वास्तव में शांति चाहता है या केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव से बचने की कोशिश कर रहा है?
भारत की शर्त – ‘बिना आतंक के कोई वार्ता नहीं’
भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को संरक्षण देना बंद नहीं करता, तब तक किसी भी प्रकार की द्विपक्षीय वार्ता का कोई मतलब नहीं है। ऐसे में शांति की प्रक्रिया तभी शुरू हो सकती है जब पाकिस्तान वास्तविक और ठोस कदम उठाए।
निष्कर्ष: अब भारत की ‘नई नीति’ – जवाब दो, चुप मत बैठो
प्रधानमंत्री मोदी के बयान से यह साफ हो गया है कि भारत अब केवल ‘शांति की अपील’ करने वाला देश नहीं रह गया है। अब भारत सबूतों के साथ आतंक और उकसावे की हर साजिश का पर्दाफाश करता है और ज़रूरत पड़ी तो सीधे कार्यवाही करने में भी हिचक नहीं करता।
पाकिस्तान का डर और घबराहट इस बात से जाहिर है कि वह अब तीसरे देशों से मध्यस्थता की गुहार लगा रहा है। लेकिन जब तक पाकिस्तान आतंकवाद, घुसपैठ और जल विवाद में अपनी भूमिका स्पष्ट नहीं करता, भारत से शांति की उम्मीद करना एक खोखला सपना ही रहेगा।