PM नरेंद्र मोदी 2 से 9 जुलाई तक अपनी 10 वर्षों की सबसे लंबी विदेश यात्रा पर जाएंगे, जिसमें वे घाना, ब्राज़ील, अर्जेंटीना सहित 5 देशों का दौरा करेंगे।प्रधानमंत्री मोदी की 10 वर्षों में सबसे लंबी विदेश यात्रा: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और 5 देशों का दौरा
2 जुलाई से 9 जुलाई तक चलेगी 8 दिन की ऐतिहासिक यात्रा
10 साल में पहली बार इतनी लंबी विदेश यात्रा पर जा रहे हैं पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 10 वर्षों के कार्यकाल में पहली बार एक लंबी 8 दिवसीय विदेश यात्रा पर निकलने वाले हैं। यह दौरा 2 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 जुलाई 2025 तक चलेगा और इसमें प्रधानमंत्री मोदी दो महाद्वीपों—अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका—के पांच देशों का दौरा करेंगे। यह यात्रा भारत की कूटनीतिक भूमिका को और सशक्त करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
कौन-कौन से देश शामिल हैं इस दौरे में?
प्रधानमंत्री मोदी जिन 5 देशों का दौरा करेंगे, वे हैं:
घाना
नामीबिया
त्रिनिदाद और टोबैगो
अर्जेंटीना
ब्राज़ील
यात्रा का शेड्यूल: कब, कहां और क्यों?
2 से 3 जुलाई: घाना दौरा
प्रधानमंत्री मोदी सबसे पहले घाना पहुंचेंगे, जहां वे घाना के राष्ट्रपति जॉन महामा से मुलाकात करेंगे। यह भारत की तरफ से 30 वर्षों में पहली द्विपक्षीय बैठक होगी। इस दौरान रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक साझेदारी पर गहन चर्चा होगी।
3 से 4 जुलाई: त्रिनिदाद और टोबैगो दौरा
पीएम मोदी बुधवार और गुरुवार को त्रिनिदाद और टोबैगो जाएंगे।
1999 के बाद यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी।
यहां वे राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगालू और प्रधानमंत्री कमला पर्साड बिसेसर से बातचीत करेंगे। साथ ही वे संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे।
MEA के अनुसार, यह यात्रा भारत और त्रिनिदाद व टोबैगो के ऐतिहासिक संबंधों को एक नई ऊर्जा प्रदान करेगी।
4 से 5 जुलाई: अर्जेंटीना दौरा
अर्जेंटीना में पीएम मोदी राष्ट्रपति जेवियर मिली से रक्षा, कृषि, खनन, तेल एवं गैस, नवीकरणीय ऊर्जा, व्यापार और निवेश जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा करेंगे। यह यात्रा भारत-अर्जेंटीना रणनीतिक साझेदारी को और गहराई देगी।
5 से 8 जुलाई: ब्राज़ील दौरा और ब्रिक्स सम्मेलन
ब्राज़ील में प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डा सिल्वा के निमंत्रण पर 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह सम्मेलन रियो डी जनेरियो में आयोजित होगा।
यह पीएम मोदी की चौथी ब्राज़ील यात्रा होगी। इस दौरान वे:
वैश्विक शासन प्रणाली में सुधार
शांति और सुरक्षा
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का जिम्मेदार उपयोग
जलवायु परिवर्तन
वैश्विक स्वास्थ्य
वित्तीय सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
ब्राज़ील यात्रा के दौरान मोदी जी राष्ट्रपति लूला के साथ द्विपक्षीय बातचीत करेंगे जिसमें व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, अंतरिक्ष, कृषि, स्वास्थ्य और लोगों के बीच संबंधों पर चर्चा होगी।
8 से 9 जुलाई: नामीबिया दौरा
अपनी यात्रा के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी नामीबिया पहुंचेंगे। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की तीसरी आधिकारिक यात्रा होगी।
यहां वे राष्ट्रपति नेटुम्बो नांदी-नदाइत्वा से मिलेंगे और नामीबिया की संसद को भी संबोधित करेंगे।
MEA के अनुसार, यह दौरा भारत और नामीबिया के गहरे ऐतिहासिक संबंधों को दोहराने वाला अवसर होगा।
भारत और ब्रिक्स: बढ़ती भागीदारी
ब्रिक्स (BRICS) में वर्तमान में पांच देश हैं:
ब्राज़ील
रूस
भारत
चीन
दक्षिण अफ्रीका
लेकिन इस वर्ष जनवरी 2025 में 9 नए देशों को ब्रिक्स में शामिल किया गया है:
बेलारूस
बोलिविया
इंडोनेशिया
कज़ाख़स्तान
थाईलैंड
क्यूबा
मलेशिया
युगांडा
उज्बेकिस्तान
इन देशों के शामिल होने से ब्रिक्स की वैश्विक प्रभावशक्ति और अधिक बढ़ेगी।
पीएम मोदी के पूर्व प्रमुख विदेशी दौरे
2015 में पीएम मोदी ने 26 देशों का दौरा किया था।
जुलाई 2015 में उन्होंने रूस और पाँच मध्य एशियाई देशों का दौरा किया था।
2016 में पीएम मोदी ने अमेरिका, मैक्सिको, स्विट्ज़रलैंड, अफगानिस्तान और क़तर का दौरा किया था।
2015 में उन्होंने एक अनौपचारिक यात्रा के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को उनके जन्मदिन पर बधाई देने के लिए पाकिस्तान भी गए थे।
इस पहल का उद्देश्य भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार करना था, लेकिन हमेशा की तरह पाकिस्तान ने विश्वासघात ही किया।
2016 में उरी हमला होने के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की।
2019 में एयरस्ट्राइक की गई।
2025 में ऑपरेशन सिंदूर के जरिए भारत ने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखाई।
मुख्य बिंदु (Key Takeaways)
प्रधानमंत्री मोदी की यह अब तक की सबसे लंबी विदेश यात्रा होगी, जो वैश्विक कूटनीति में भारत की मजबूती को दर्शाती है।
यात्रा के दौरान रक्षा, ऊर्जा और व्यापार के क्षेत्र में बड़े समझौते संभव हैं।
ब्रिक्स सम्मेलन भारत की वैश्विक नेतृत्व में भूमिका को और मजबूती देगा।
अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका जैसे क्षेत्रों से भारत के संबंध और अधिक सशक्त होंगे।
यह यात्रा केवल दौरे की औपचारिकता नहीं है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति, रणनीतिक सहयोग और वैश्विक मंच पर प्रभाव को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक ठोस कदम है।