हैदराबाद मैअज़हरुद्दीन ने पहले बीबीएस लक्ष्मण का नाम हटाया पवेलियन से अपना नाम रखा अब जब उनका नाम हटाया जा रहा है तो वो अब कोर्ट जा रहे हैं मेरे हिसाब से पहले भी गलत किया अजरुद्दीन साहब ने और अब जब उनका नाम हटाया जा रहा है तो ये भी गलत है कि वो हमारे देश के एक महान क्रिकेटर रह चुके हैं
हैदराबाद की क्रिकेट दुनिया में एक बड़ा झटका तब लगा, जब HCA के ओम्बड्समैन ने आदेश दिया कि मोहम्मद अजहरुद्दीन का नाम राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम के नॉर्थ पवेलियन स्टैंड से हटा दिया जाए।
यह आदेश पूर्व कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. ईश्वरैया ने पारित किया और साथ ही यह भी निर्देश दिया कि अब किसी भी मैच टिकट पर अजहरुद्दीन का नाम नहीं छापा जाएगा।
दरअसल, ये कहानी आज की नहीं है।

साल 2019 में, जब अजहरुद्दीन खुद HCA के अध्यक्ष थे, उन्होंने 25 नवंबर को हुई एपेक्स काउंसिल बैठक में एक प्रस्ताव पास कराया था — कि नॉर्थ स्टैंड का नाम ‘अजहरुद्दीन स्टैंड’ कर दिया जाए।
यह वही स्टैंड था, जो पहले दिग्गज बल्लेबाज वी.वी.एस. लक्ष्मण के नाम से जाना जाता था।
इस फैसले के खिलाफ इस साल फरवरी में लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब (LCC) ने शिकायत दर्ज करवाई।
LCC ने आरोप लगाया कि स्टैंड का नाम बदलना HCA के संविधान के नियम 38 का खुला उल्लंघन है,
जिसमें साफ कहा गया है कि कोई भी परिषद सदस्य अपने पक्ष में कोई निर्णय नहीं ले सकता।
अजहरुद्दीन का दर्द छलका
मोहम्मद अजहरुद्दीन ने इन आरोपों को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि
वह इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
उन्होंने कहा:
“यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। 17 साल तक भारत के लिए क्रिकेट खेला, 10 साल कप्तान रहा,
और आज अपने ही शहर में इस तरह का बर्ताव झेलना पड़ रहा है।
क्रिकेट की दुनिया इस फैसले पर हँसेगी। इसमें कोई हितों का टकराव नहीं है।
हम कानूनी लड़ाई लड़ेंगे, 100%”
उनकी बातों में साफ झलकता है कि एक दिग्गज खिलाड़ी के सम्मान को लेकर कितना दर्द और नाराज़गी है।
LCC ने जताई खुशी
वहीं, दूसरी तरफ, लॉर्ड्स क्रिकेट क्लब ने इस फैसले का स्वागत किया। क्लब के कोषाध्यक्ष सोमना मिश्रा ने कहा:
“यह पारदर्शिता और ईमानदारी के लिए एक बड़ी जीत है।
हम अधिकारियों का निष्पक्ष निर्णय देने के लिए आभार व्यक्त करते हैं।”
इसकी पिछली कहानी भी समझे
मोहम्मद अजहरुद्दीन भारतीय क्रिकेट के सबसे चमकते सितारों में से रहे हैं। उन्होंने 99 टेस्ट और 334 वनडे मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
उनकी कप्तानी में भारत ने कई ऐतिहासिक जीतें दर्ज कीं। लेकिन 2000 में मैच फिक्सिंग विवाद के चलते उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया गया था — जिसे बाद में आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया।
फिर भी, अजहरुद्दीन की लोकप्रियता और क्रिकेट में उनके योगदान को कोई नकार नहीं सकता।
अब जब HCA ने उनके नाम को स्टेडियम से हटाने का फैसला लिया है, तो सवाल उठता है —
क्या हमारे देश में खिलाड़ियों का सम्मान वाकई टिकाऊ है, या वह भी राजनीति की भेंट चढ़ जाता है?
आगे देखना होगा कि अदालत में इस लड़ाई का क्या नतीजा निकलता है,
लेकिन इतना तय है कि अजहरुद्दीन ने अभी हार नहीं मानी है।
एक दूसरे से नाराज़गी के कारण क्रिकेट का नाम ख़राब हो रहा है
मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए आप सब की क्या राय है आप भी कमेंट के माध्यम से मुझे बता सकते हैं
