हमास ने किया इस्राइल पर अचानक हमला

जब इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिका के राष्ट्रपति से मिलने पहुंचे, उसी समय हमास ने इस्राइल पर रॉकेट हमले कर दिए। जानिए हमले का पूरा घटनाक्रम और दुनिया की प्रतिक्रिया।

नई दिल्ली/तेल अवीव:

मध्य पूर्व में एक बार फिर हालात बिगड़ गए हैं। इस बार हमास ने उस समय इस्राइल पर हमला कर दिया जब इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका की आधिकारिक यात्रा पर थे और वहाँ के राष्ट्रपति से मुलाकात करने वाले थे। यह हमला न केवल रणनीतिक रूप से चौंकाने वाला था, बल्कि इसका समय भी बेहद संवेदनशील था।

क्या है पूरी घटना?

सूत्रों के मुताबिक, हमास ने इस्राइल के सीमावर्ती क्षेत्रों पर रॉकेट हमले किए और कुछ जगहों पर छोटे पैमाने पर घुसपैठ की कोशिशें भी की गईं। हमले के दौरान इस्राइली सेना की ओर से भी तुरंत जवाबी कार्रवाई की गई। अब तक कई रॉकेटों को आयरन डोम सिस्टम ने इंटरसेप्ट कर लिया है, लेकिन कुछ रिहायशी इलाकों में नुकसान की खबरें भी आ रही हैं।

नेतन्याहू की अमेरिका यात्रा और उसका संदेश

इस हमले का टाइमिंग बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि इसी समय इस्राइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से मुलाकात करने वाले थे। इस यात्रा का उद्देश्य सुरक्षा सहयोग, ईरान पर चर्चा और हमास जैसी आतंकवादी गतिविधियों से निपटने की रणनीति तय करना था। ऐसे में हमास का यह हमला सीधे तौर पर एक राजनीतिक और सैन्य संदेश माना जा रहा है।

इस्राइल का जवाब

इस्राइली डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने तुरंत जवाबी कार्रवाई की और हमास के कई ठिकानों को निशाना बनाया। इस्राइल के रक्षा मंत्री ने कहा,

“हम पर हमला करने वालों को छोड़ा नहीं जाएगा। यह युद्ध नहीं, बल्कि आत्मरक्षा है।”

वैश्विक प्रतिक्रिया

अमेरिका ने इस्राइल के साथ एकजुटता जताई है और कहा है कि वो इस्राइल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करता है। वहीं, संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। लेकिन सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह टकराव और अधिक गंभीर रूप ले सकता है।

आम लोगों पर असर

इस्राइल के सीमावर्ती इलाकों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं, लोगों से बंकरों में रहने की अपील की गई है। वहीं, गाज़ा में भी आम नागरिकों को भारी नुकसान हो रहा है। दोनों तरफ के आम लोग एक बार फिर युद्ध की चपेट में आ गए हैं।

निष्कर्ष:

हमास का यह हमला ना केवल सैन्य मोर्चे पर चुनौती है, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी इस्राइल के लिए एक गंभीर संदेश है। अब दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अमेरिका और इस्राइल मिलकर कैसे इस उभरते संकट से निपटते हैं।

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