आज हनुमान जयंती है और देशभर के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी हुई है। यह दिन अत्यंत शुभ माना जा रहा है क्योंकि 57 वर्षों बाद ऐसा दुर्लभ योग बना है।
इस बार हनुमान जयंती शनिवार को पड़ रही है, जिससे इसका धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है।
शनिवार और हनुमान जयंती का संयोग बेहद विशेष माना जाता है
क्योंकि शनिवार को हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोष और जीवन की कई बाधाएं दूर हो जाती हैं।
हनुमान जयंती का पौराणिक और धार्मिक महत्व

हनुमान जयंती भगवान हनुमान के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। यह चैत्र मास की पूर्णिमा को आता है।
भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, हनुमान चालीसा, सुंदरकांड और रामचरितमानस का पाठ करते हैं।
मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना, हवन, और भंडारों का आयोजन होता है।
भगवान हनुमान को कलियुग का जीवंत देवता कहा गया है, जो आज भी अपने भक्तों की पुकार सुनते हैं और उनकी रक्षा करते हैं।
हनुमान जी का नाम लेते ही भय, शोक, पीड़ा और मानसिक तनाव दूर हो जाता है।
भगवान हनुमान का जन्म और बचपन की लीलाएं

हनुमान जी को अंजनी और केसरी के पुत्र के रूप में जन्म मिला।
वह पवन देव की कृपा से उत्पन्न हुए, इसलिए उन्हें ‘पवनपुत्र’ भी कहा जाता है।
बचपन में ही उनकी शक्तियाँ इतनी अद्भुत थीं कि उन्होंने सूर्य देव को फल समझकर निगलने की कोशिश की, जिससे पूरे ब्रह्मांड में अंधकार छा गया।
इन्हीं बाल लीलाओं के चलते हनुमान जी को शाप मिला कि वे अपनी शक्तियों को भूल जाएंगे
और किसी विशेष परिस्थिति में ही उन्हें याद आएगा कि वे क्या कर सकते हैं।
यह शाप रामायण काल में उनकी भूमिका के लिए आवश्यक था।
रामायण में हनुमान जी की भूमिका
रामायण में हनुमान जी का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा।
जब रावण ने माता सीता का हरण किया, तब श्रीराम की खोज में हनुमान जी लंका पहुँचे।
उन्होंने अशोक वाटिका में माता सीता से भेंट की, रामजी की अंगूठी दी और रामकथा सुनाई।
लंका में उन्होंने अपनी शक्ति से रावण की सेना को चकनाचूर किया और अंत में पूरी लंका में आग लगा दी।
उनके साहस, भक्ति और समर्पण ने उन्हें ‘राम भक्त हनुमान’ की उपाधि दिलाई।

शनिवार और हनुमान जी का विशेष संबंध
शनिवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है।
पौराणिक मान्यता है कि शनि देव, जो स्वयं भगवान सूर्य के पुत्र हैं, हनुमान जी के भक्त हैं।
एक कथा के अनुसार, जब शनि देव लंका में कैद थे, तब हनुमान जी ने उन्हें मुक्त कराया था।
इससे प्रसन्न होकर शनि देव ने वचन दिया कि जो भी शनिवार को हनुमान जी की आराधना करेगा, उसे वे अपने प्रभाव से मुक्त रखेंगे। यही कारण है कि शनिदोष, साढ़ेसाती या ढैया से पीड़ित लोग हनुमान जी की पूजा करते हैं।
इस वर्ष का विशेष योग – 57 वर्षों बाद संयोग
इस वर्ष हनुमान जयंती शनिवार को पड़ने के कारण धार्मिक दृष्टि से विशेष मानी जा रही है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 57 वर्षों बाद ऐसा महायोग बना है, जिसमें चैत्र पूर्णिमा, शनिवार और शुभ नक्षत्रों का संगम हुआ है।
ऐसे योगों में की गई पूजा, हवन, दान और व्रत का फल कई गुना अधिक मिलता है। विशेष रूप से जिन लोगों की कुंडली में शनि की बाधाएं हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत लाभकारी है।
हनुमान जी को 56 भोग क्यों अर्पित किए जाते हैं?
हनुमान जी को मिठाइयाँ विशेष रूप से प्रिय हैं। भक्त उन्हें लड्डू, पेड़ा, बूंदी, मालपुए, बेसन के लड्डू, रसमलाई आदि विभिन्न मिठाइयाँ अर्पित करते हैं। 56 भोग की परंपरा विशेष रूप से उनके प्रति अपार श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है।
56 भोग अर्पण का उद्देश्य है – देवता को सम्पूर्ण भोज्य पदार्थ अर्पित कर उन्हें तृप्त करना। माना जाता है कि ऐसा करने से हनुमान जी अति प्रसन्न होते हैं और भक्तों को बल, बुद्धि और विजय का आशीर्वाद देते हैं।
भक्तों की आस्था और आधुनिक समय में हनुमान जी
आज भी हनुमान जी को सबसे सक्रिय और जाग्रत देवता माना जाता है। उत्तर भारत से लेकर दक्षिण तक और विदेशों में बसे हिन्दू समुदायों में हनुमान जयंती विशेष श्रद्धा से मनाई जाती है।
भक्त अपने जीवन की हर कठिनाई में “जय बजरंगबली” कहकर हनुमान जी को याद करते हैं। चाहे कोर्ट केस हो, नौकरी की चिंता, परीक्षा में सफलता की कामना हो या किसी बीमारी से मुक्ति – हनुमान जी का स्मरण हर जगह शक्ति देता है।
हनुमान जी के कुछ प्रसिद्ध मंत्र
1. “ॐ हं हनुमते नमः” – यह बीज मंत्र अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
2. “जय हनुमान ज्ञान गुन सागर…” – हनुमान चालीसा का यह आरंभिक दोहा हर भक्त के हृदय में बसा होता है।
3. “हनुमान बाहुक” – गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित यह स्तोत्र विशेषकर शारीरिक पीड़ा और कष्ट से मुक्ति के लिए पढ़ा जाता है।
हनुमान जयंती केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मबल, भक्ति और अडिग विश्वास का प्रतीक है। इस वर्ष का विशेष योग इसे और भी प्रभावशाली बनाता है। हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में शक्ति, साहस, बुद्धि और निर्भयता का संचार होता है।
इस हनुमान जयंती पर आइए, हम सभी बजरंगबली के चरणों में श्रद्धा अर्पित करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें –
“संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।”

Jai shree Ram
Jai bajrangbali ki