
नई दिल्ली, 16 अप्रैल:सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ विधेयक (Waqf Bill) को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को 7 दिन के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि वक्फ की संपत्तियों में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जाएगा।
भूमि जैसे थी, वैसे ही रहेगी। वक्फ बोर्ड में भी तब तक कोई नया सदस्य नियुक्त नहीं किया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई तक (5 मई), किसी भी वक्फ संपत्ति को लेकर कलेक्टर या अन्य प्रशासनिक अधिकारी कोई नया आदेश पारित नहीं करेंगे।
वक्फ क्या है?
इस पर इतना हल्ला क्यों मचा है, क्यों इसका इतना विरोध हो रहा है
‘वक्फ’ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसके तहत किसी संपत्ति को धर्मार्थ या धार्मिक उपयोग के लिए समर्पित कर दिया जाता है।
वक्फ संपत्ति आमतौर पर मस्जिद, कब्रिस्तान, मदरसे, दरगाह या अन्य धार्मिक स्थलों के लिए होती है।
भारत में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड द्वारा किया जाता है, जो वक्फ अधिनियम, 1995 के अंतर्गत स्थापित हैं।
वक्फ विधेयक विवाद क्यों?
हाल ही में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन, कब्जे और उनके अधिकारों को लेकर कई याचिकाएं दायर की गई हैं।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वक्फ बोर्ड को विशेषाधिकार दिए जाने से देश के संविधान में समानता
और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन होता है।
कुछ प्रमुख आपत्तियाँ इस प्रकार हैं:
वक्फ बोर्ड को संपत्तियों पर बड़े अधिकार प्राप्त हैं, जबकि अन्य धार्मिक ट्रस्टों के साथ ऐसा नहीं है।
बिना किसी सार्वजनिक सूचना या
आपत्ति प्रक्रिया के वक्फ संपत्ति घोषित किए जाने की प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों के दावे से निजी भूमि मालिकों को कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि,
“हम यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी की संपत्ति पर बिना उचित प्रक्रिया के कोई दावा न किया जाए।
सभी पक्षों को वक्फ भूमि से संबंधित मामलों में अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखनी होगी।”
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी संकेत दिया कि वक्फ अधिनियम की संवैधानिक वैधता के मुद्दे पर विस्तृत सुनवाई की जाएगी।
अगली सुनवाई कब?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 5 मई 2025 की तारीख तय की है।
तब तक के लिए अदालत ने सभी संबंधित अधिकारियों और पक्षों को निर्देशित किया है कि वक्फ संपत्तियों पर किसी भी तरह की प्रशासनिक कार्रवाई से बचा जाए।
सुप्रीम कोर्ट का मकसद: निष्पक्षता और नागरिकों के संपत्ति अधिकारों की रक्षा करना।
1. संविधान की व्याख्या
“संविधान सर्वोपरि है, और इसकी व्याख्या की अंतिम शक्ति सर्वोच्च न्यायालय के पास है।”
– डॉ. भीमराव अंबेडकर
सर्वोच्च न्यायालय संविधान के प्रत्येक अनुच्छेद की व्याख्या करता है और उसे लागू करने में सहायता करता है।
2. मौलिक अधिकारों की रक्षा
अनुच्छेद 32 के अंतर्गत यदि किसी नागरिक का मौलिक अधिकार भंग होता है,
तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकता है।
3. अपील की सुनवाई (Appeals)
देश के किसी भी उच्च न्यायालय से आए फैसलों पर अंतिम सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होती है।
4. राज्यों के बीच विवाद निपटाना
यदि दो राज्यों या राज्य और केंद्र सरकार के बीच कोई संवैधानिक विवाद होता है, तो सुप्रीम कोर्ट उसे सुलझाता है।
5. परामर्श देना
राष्ट्रपति किसी संवैधानिक या कानूनी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांग सकता है (अनुच्छेद 143)।
6. न्यायिक समीक्षा (Judicial Review)
अगर संसद या राज्य विधानमंडल द्वारा पारित कोई कानून संविधान के खिलाफ हो, तो सुप्रीम कोर्ट उसे असंवैधानिक घोषित कर सकता है।
7. जनहित याचिका (PIL)
सामाजिक, पर्यावरणीय या संवैधानिक मुद्दों पर कोई भी व्यक्ति जनहित में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।
निष्कर्ष:
सुप्रीम कोर्ट भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है। इसकी निष्पक्षता और संवैधानिक विवेक देश की न्यायिक प्रणाली को सशक्त बनाता है। यह संस्था न केवल न्याय देती है, बल्कि संविधान के सम्मान को भी बनाए रखती है।