[कैथोलिक चर्च] मोदी सरकार द्वारा वक्फ संशोधन बिल पास करने के बाद राजनीतिक हलकों में उथल-पुथल मच गई है।
क्या अब अगला निशाना कैथोलिक चर्च की ज़मीनें हैं? जानिए पूरी कहानी इस विश्लेषण में।

“मोदी सरकार ने वो कर दिखाया जिसकी किसी को उम्मीद नहीं थी –
बिना पूर्ण बहुमत के वक्फ संशोधन बिल पास करवा दिया।”
वक्फ बिल पास होते ही प्रायोजित गैंग की हालत देखने लायक है
मोदी सरकार द्वारा वक्फ संशोधन बिल पारित किए जाने के बाद देश की राजनीति में हड़कंप मच गया है।
सबसे ज्यादा बेचैनी उन संगठनों और नेताओं में है, जो अब तक वक्फ बोर्ड के नाम पर विशेषाधिकारों का लाभ उठाते आ रहे थे।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड छाती पीट-पीट कर कह रहा है कि उनके साथ ज़ुल्म हुआ है।
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और दिल्ली के नेता अमानतुल्लाह खान कह रहे हैं कि अब वे सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे।
इस बिल को मुसलमानों के खिलाफ बताया जा रहा है,
लेकिन असल में यह बिल पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
चर्च की ज़मीनें भी अब सवालों के घेरे में?
अब बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या कैथोलिक चर्च की ज़मीनों की बारी भी आने वाली है?
इतिहासकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि आज़ादी से पहले अंग्रेज़ों ने बड़ी मात्रा में ज़मीनें चर्च को बेहद सस्ते में दी थीं।
आज ये ज़मीनें अरबों-खरबों की हैं। चर्च को अब ये साबित करना होगा कि उनके पास ये ज़मीनें कैसे आईं,
किस दस्तावेज़ के आधार पर आईं और क्या उनका ट्रांसफर वैध था।
राहुल गांधी ने इसी संदर्भ में एक बयान दिया है कि “अब बीजेपी की नज़र चर्च की ज़मीनों पर है।”
राहुल को अब ये डर सता रहा है कि कहीं उनके पारंपरिक वोट बैंक पर भी खतरा न आ जाए।
यही सोचकर उनका मन भारी हो गया है।
240 सीटों वाली सरकार ने कैसे पारित करवा दिया इतना बड़ा बिल?
सच यह है कि विपक्ष को बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि बीजेपी इस बार इतना बड़ा कदम उठाएगी।
2025 में बीजेपी के पास पूर्ण बहुमत नहीं है, सिर्फ 240 सीटें हैं।
इसके बावजूद मोदी सरकार ने हिम्मत दिखाई, बिल लाई और विपक्ष के विरोध के बावजूद उसे संसद में पास भी करवा दिया।
अब विपक्ष के खेमे में बेचैनी है – कांग्रेस, वामपंथी पार्टियां और तमाम सेक्युलर विचारधारा वाले लोग सोच में पड़ गए हैं कि
अब आगे क्या होगा। मोदी सरकार अब किस दिशा में अगला कदम उठाएगी?
उन्हें बुरे-बुरे सपने आने लगे हैं।
क्या वक्फ बिल सबसे कठिन निर्णय था?
जब 2019 में धारा 370 हटाई गई, तब उसे ऐतिहासिक और कठिन फैसला माना गया।
लेकिन 2025 में गठबंधन की सरकार में वक्फ संशोधन बिल पारित करना कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण था।
2019 में बीजेपी के पास स्पष्ट बहुमत था, लेकिन इस बार परिस्थितियाँ विपरीत थीं – फिर भी सरकार न झुकी, न रुकी।
सहयोगी दलों ने दिखाया दम
कांग्रेस को लगा था कि जेडीयू, टीडीपी जैसे सहयोगी दल इस मुद्दे पर बीजेपी का साथ नहीं देंगे,
लेकिन हुआ इसके उलट।
इन पार्टियों ने इस बार बीजेपी का समर्थन किया और बिल को बहुमत से पास करवा दिया।
कांग्रेस का दोहरा रवैया उजागर
जिस कांग्रेस ने संसद के बाहर इतना हल्ला मचाया, उसी पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी संसद में पूरी तरह से चुप रहे।
प्रियंका गांधी वाड्रा, जो वायनाड से सांसद हैं – जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है – उन्होंने भी सदन में एक शब्द नहीं बोला। यदि बिल वाकई मुसलमानों के खिलाफ था, तो संसद में उन्हें आवाज़ उठानी चाहिए थी। लेकिन मौका होते हुए भी वे खामोश रहीं – यह दर्शाता है कि शायद कांग्रेस खुद अपने रुख को लेकर स्पष्ट नहीं है।
अब अगला कदम यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC)?
अब सवाल उठता है – क्या बीजेपी यहीं रुकने वाली है? जवाब है नहीं।
बीजेपी ने अब तक राम मंदिर निर्माण, CAA, ट्रिपल तलाक, धारा 370 हटाना, वक्फ संशोधन बिल जैसे सभी बड़े वादे पूरे किए हैं। अब अगला नंबर यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता) का हो सकता है।
UCC वह कदम होगा जो भारत में सभी धर्मों के लोगों के लिए एक समान कानून व्यवस्था की नींव रखेगा – और शायद यही वो फैसला होगा जिससे बीजेपी 2029 में भी अपनी पकड़ मजबूत बनाएगी।
