[हिंसा]पश्चिम बंगाल के 24 परगना जिले में एक बार फिर से वक्फ़ विधेयक को लेकर हालात बेकाबू हो गए, विरोध-प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और हालात इतने बिगड़े कि पुलिस को हालात पर काबू पाने के लिए लाठीचार्ज और आँसू गैस का सहारा लेना पड़ा।
इस हिंसा में 8 पुलिसकर्मी घायल हो गए और कई मोटरसाइकिलों को उपद्रवियों ने आग के हवाले कर दिया।
वक्फ़ बिल को लेकर पश्चिम बंगाल में पिछले कुछ समय से राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर खलबली मची हुई है।
लेकिन इस बार 24 परगना जैसे संवेदनशील क्षेत्र में जो कुछ हुआ,
उसने राज्य सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
क्या है वक्फ़ विधेयक विवाद?

वक्फ़ बिल एक ऐसा प्रस्तावित कानून है जो वक्फ़ बोर्ड की संपत्तियों को लेकर नए नियमों और अधिकारों को तय करता है।
इस बिल के अनुसार, वक्फ़ बोर्ड को विशेष शक्तियां दी जाती हैं जिससे वह विवादित संपत्तियों पर सीधा अधिकार जता सके।
विरोध करने वालों का कहना है कि यह बिल धार्मिक आधार पर भेदभाव को बढ़ावा देता है और
इससे आम नागरिकों, खासकर गैर-मुस्लिम समुदायों की संपत्तियों पर भी विवाद उत्पन्न हो सकता है।
इसी मुद्दे को लेकर कई राज्यों में प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन पश्चिम बंगाल में इसका विरोध हिंसक रूप ले चुका है।
हिंसा की शुरुआत कैसे हुई?
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, शुक्रवार दोपहर को एक विरोध प्रदर्शन निकाला गया था जो कि शुरू में शांतिपूर्ण था।
लेकिन कुछ ही देर में यह प्रदर्शन उग्र हो गया। भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया,
और पुलिस को तुरंत अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा।
बैरकपुर, बशीरहाट, और उत्तर 24 परगना के कुछ इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहनों और बाइकों को आग के हवाले कर दिया।
सड़क पर टायर जलाकर रास्ता बंद कर दिया गया और कई घंटे तक पूरे इलाके में तनाव बना रहा।
पुलिस का पक्ष
पुलिस का कहना है कि प्रदर्शन की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी और अचानक सैकड़ों की संख्या में लोग इकट्ठा हो गए।
जब प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने की कोशिश की गई तो वे उग्र हो गए।
अब तक 25 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है,
और वीडियो फुटेज के ज़रिए हिंसा में शामिल बाकी लोगों की पहचान की जा रही है।
राजनीति का रंग
जैसा कि अक्सर होता है, इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीति भी गरमा गई है।
भाजपा ने इस घटना को राज्य सरकार की “वोट बैंक” राजनीति का नतीजा बताया और
कहा कि ममता सरकार एक वर्ग विशेष को खुश करने के चक्कर में कानून व्यवस्था को दांव पर लगा रही है।
वहीं, टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ने भाजपा पर “बाहरी ताकतों द्वारा राज्य में शांति भंग करने” का आरोप लगाया।
पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा के नेता इस मुद्दे को जानबूझकर तूल दे रहे हैं ताकि धार्मिक तनाव फैलाया जा सके।
राज्य के विपक्षी नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस घटना को लेकर विधानसभा में विशेष सत्र बुलाने की मांग की है।
स्थानीय लोगों में डर और गुस्सा
घटना के बाद स्थानीय लोगों में डर और गुस्से का माहौल है।
कई दुकानों को बंद कर दिया गया और इलाके में कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी रही।
कुछ स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि
अगर पहले से सतर्कता बरती जाती तो यह घटना टाली जा सकती थी।
सरकार की प्रतिक्रिया
पश्चिम बंगाल सरकार ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बयान जारी करते हुए कहा कि
“राज्य में कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, और जो लोग हिंसा भड़काएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
उन्होंने पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि दोषियों की पहचान कर उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए।
साथ ही पुलिस बल को प्रभावित क्षेत्रों में गश्त बढ़ाने के आदेश दिए गए हैं।
क्या आगे भी बढ़ेगा तनाव?
जानकारों का मानना है कि वक्फ़ बिल को लेकर आने वाले दिनों में और भी विरोध देखने को मिल सकता है, खासकर अगर सरकार इसे जल्द स्पष्ट नहीं करती।
विपक्ष इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जा रहा है और इसे एक “धर्मनिरपेक्ष बनाम तुष्टिकरण” की लड़ाई बना दिया गया है।
निष्कर्ष
24 परगना की यह घटना सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी जटिलताओं का प्रतीक बन गई है।
वक्फ़ बिल को लेकर लोगों में भ्रम और असंतोष है, जिसे दूर करने के लिए सरकार को संवाद की पहल करनी होगी।
वरना ऐसी हिंसक घटनाएं फिर से दोहराई जा सकती हैं।
आप इस मुद्दे पर क्या सोचते हैं? क्या वक्फ़ कानून के प्रावधानों को फिर से देखने की जरूरत है? कमेंट में अपनी राय जरूर साझा करें।
