रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी का वर्चुअल उद्घाटन किया। जानिए इस फैसिलिटी की खासियत, ब्रह्मोस मिसाइल की ताकत और भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति के बारे में।
ब्रह्मोस मिसाइल अब उत्तर प्रदेश की धरती पर होगी और भी सशक्त

लखनऊ, 11 मई 2025 – भारत के रक्षामंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से वर्चुअल माध्यम से ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग फैसिलिटी (BrahMos Aerospace Integration and Testing Facility) का उद्घाटन किया।
यह अत्याधुनिक सुविधा अब भारत की रक्षा क्षमताओं को और अधिक मज़बूत बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
यह प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश डिफेंस कॉरिडोर के अंतर्गत स्थापित किया गया है और यह न केवल रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा,
बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा करेगा।
“ब्रह्मोस की धमक रावलपिंडी तक सुनाई दी है” – राजनाथ सिंह
उद्घाटन के दौरान अपने संबोधन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को सख्त संदेश देते हुए कहा:
“ब्रह्मोस की धमक रावलपिंडी तक सुनाई दी है।”
यह बयान न केवल भारत की बढ़ती सैन्य ताकत को दर्शाता है,
बल्कि यह भी संकेत देता है कि भारत अब अपने दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने में पूरी तरह सक्षम है।
रावळपिंडी, जो कि पाकिस्तान की सेना का मुख्यालय है, का जिक्र करके राजनाथ सिंह ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी रक्षा तैयारियों को लेकर पूरी तरह सतर्क और सक्षम है।
ब्रह्मोस एयरोस्पेस फैसिलिटी क्या है?
ब्रह्मोस एयरोस्पेस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग फैसिलिटी, एक ऐसा केंद्र है जहां ब्रह्मोस मिसाइलों का निर्माण, परीक्षण और तकनीकी निरीक्षण किया जाएगा।
यह भारत और रूस के साझा उपक्रम ‘ब्रह्मोस एयरोस्पेस’ के अंतर्गत आता है।
इस फैसिलिटी में निम्नलिखित कार्य होंगे:
ब्रह्मोस मिसाइलों की असेम्बली
परीक्षण के पूर्व तकनीकी निरीक्षण
गुणवत्ता नियंत्रण और मानक परीक्षण
एडवांस्ड तकनीक के साथ ट्रैकिंग और ट्रायल
क्यों महत्वपूर्ण है लखनऊ में यह परियोजना?

उत्तर प्रदेश में यह पहला बड़ा रक्षा उत्पादन केंद्र होगा जो अत्याधुनिक मिसाइल प्रणाली से जुड़ा है।
लखनऊ, जो कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र भी है, को इस परियोजना के लिए चुना जाना एक रणनीतिक फैसला था।
यह प्रोजेक्ट:
उत्तर प्रदेश डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को बढ़ावा देगा
स्थानीय युवाओं के लिए 5000 से अधिक नौकरियों के अवसर उपलब्ध कराएगा
भारत की रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भरता को मजबूत करेगा
स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहन देगा
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषताएं
ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल है, जो भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है। इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मॉस्कवा नदियों के नाम पर रखा गया है। इसकी प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:
गति: 2.8 मैक (ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना तेज)
रेंज: 450-800 किलोमीटर (नई वर्ज़न में)
प्रिसिशन: टारगेट पर सटीक वार
लॉन्च मोड: ज़मीन, समुद्र, वायु और सबमरीन से लॉन्च करने की क्षमता
उपयोग: दुश्मन के एयरबेस, रडार, बंकर, और युद्धपोतों को नष्ट करने में सक्षम
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की ओर कदम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘आत्मनिर्भर भारत’ योजना के तहत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी जा रही है।
ब्रह्मोस फैसिलिटी इस दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है।
इस परियोजना से भारत को अब रूस या अन्य देशों पर मिसाइलों की असेंबली के लिए निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसके माध्यम से:
भारत अपनी रक्षा प्रणाली को घरेलू स्तर पर विकसित कर सकेगा
एक्सपोर्ट की संभावनाएं भी बढ़ेंगी
ब्रह्मोस मिसाइल के अन्य संस्करणों का उत्पादन आसान होगा
युवाओं और स्टार्टअप्स को मिलेगा बड़ा मौका
इस फैसिलिटी की स्थापना से रक्षा क्षेत्र में तकनीकी स्टार्टअप्स और युवा इंजीनियरों को बड़ी प्रेरणा मिलेगी। स्टेट ऑफ द आर्ट फैसिलिटी में:
इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स के लिए R&D के अवसर
रक्षा तकनीक से जुड़े MSME सेक्टर को बढ़ावा
स्थानीय उद्योगों के साथ साझेदारी का मौका
पाकिस्तान और चीन के लिए सख्त संदेश
राजनाथ सिंह का “रावलपिंडी तक धमक” वाला बयान केवल पाकिस्तान तक सीमित नहीं है। चीन की हरकतों को देखते हुए भारत अब अपनी सुरक्षा नीति में आक्रामक रुख अपनाने लगा है।
ब्रह्मोस मिसाइल पहले ही भारतीय नौसेना और थलसेना में शामिल की जा चुकी है। इसके एयर-लॉन्च वर्जन को सुखोई-30 MKI से फायर किया गया है, जिससे यह हवा से जमीन तक हमला करने में भी सक्षम है।
भविष्य की योजनाएं
इस फैसिलिटी के बाद भारत भविष्य में निम्नलिखित कदम उठा सकता है:
ब्रह्मोस-II (हाइपरसोनिक मिसाइल) का उत्पादन
अन्य स्वदेशी मिसाइलों की असेम्बली और टेस्टिंग फैसिलिटीज
एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों का विस्तार
निष्कर्ष: आत्मनिर्भर भारत की मिसाइल शक्ति
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा लखनऊ में ब्रह्मोस फैसिलिटी का उद्घाटन एक ऐतिहासिक कदम है जो आने वाले वर्षों में भारत की रक्षा क्षमताओं को नए शिखर पर पहुंचाएगा। यह सिर्फ एक फैसिलिटी नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी, रणनीतिक और सैन्य आत्मनिर्भरता की दिशा में एक सशक्त कदम है।
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा कर सकता है, बल्कि जरूरत पड़ने पर दुश्मन को उसकी जमीन पर भी करारा जवाब देने की क्षमता रखता है।