रामेश्वरम का नया पंबन ब्रिज: भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज और राम सेतु का रहस्य

रामेश्वरम का नया पंबन ब्रिज: भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज और राम सेतु का रहस्य

Breaking News: पीएम मोदी 6 अप्रैल को पंबन ब्रिज का उद्घाटन करने जा रहे हैं! यह उद्घाटन राम नवमी के पावन अवसर पर होने वाला है, जब सम्पूर्ण भारत में भगवान राम के जन्म का उत्सव मनाया जाता है। इस ऐतिहासिक दिन पर भारत को एक और गौरवशाली संरचना मिलने जा रही है जो आधुनिक इंजीनियरिंग का अद्वितीय नमूना है।

रामेश्वरम ब्रिज (पंबन ब्रिज और राम सेतु) पर विस्तृत जानकारी

परिचय:

रामेश्वरम ब्रिज भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और इंजीनियरिंग की दृष्टि से महत्वपूर्ण पुल है। यह दो प्रसिद्ध ब्रिजों का समूह है –

1. पंबन रेलवे ब्रिज (Pamban Railway Bridge)

2. राम सेतु / एडम्स ब्रिज (Ram Setu / Adam’s Bridge)

1. पंबन ब्रिज (Pamban Bridge)

स्थिति: यह ब्रिज मंडपम (मेनलैंड भारत) को पंबन द्वीप (रामेश्वरम) से जोड़ता है।

निर्माण वर्ष: 1914 में इसका उद्घाटन हुआ था। यह भारत का पहला समुद्री पुल (sea bridge) था।

लंबाई: लगभग 2.3 किलोमीटर

विशेषता:

यह एक रेलवे पुल है, जो समुद्र के ऊपर से गुजरता है।

इसका एक हिस्सा स्विंग ब्रिज (खुलने वाला भाग) है, जिसे जहाज़ों के लिए खोला जा सकता है।

यह अपने समय का अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार माना जाता है।

वर्तमान में इसके समानांतर एक नया रेलवे ब्रिज (Vertical Lift Bridge) का निर्माण हो चुका है।

नई पंबन ब्रिज: आधुनिक भारत की नई पहचान

नई पंबन ब्रिज का निर्माण अधिक ट्रैफिक को संभालने, टिकाऊपन सुनिश्चित करने और समुद्री नेविगेशन में सुधार लाने के लिए किया गया है, जिससे क्षेत्रीय संपर्क और विकास को बढ़ावा मिलेगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार, 6 अप्रैल (राम नवमी) को तमिलनाडु में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज, नई पंबन ब्रिज का उद्घाटन करेंगे। यह ब्रिज रामेश्वरम को भारत की मुख्यभूमि से जोड़ता है।

ब्रिज की लंबाई: 2.07 किलोमीटर

यह ब्रिज पाक जलडमरूमध्य (Palk Strait) पर फैला है और पहले के 1914 में बने पंबन ब्रिज की जगह लेगा। पुराना ब्रिज एक कैंटिलीवर संरचना थी, जिसमें शेरज़र रोलिंग लिफ्ट स्पैन था। समय के साथ, यह ब्रिज यातायात की बढ़ती मांगों को पूरा करने में अक्षम हो गया और समुद्री पर्यावरण से भी प्रभावित हुआ।

2019 में केंद्र सरकार ने इस नई ब्रिज के निर्माण को मंजूरी दी थी, जिसे रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा आधुनिक इंजीनियरिंग तकनीकों से निर्मित किया गया है।

नई पंबन ब्रिज की प्रमुख विशेषताएँ:

72.5 मीटर का नेविगेशनल स्पैन, जिसे 17 मीटर तक ऊपर उठाया जा सकता है ताकि बड़े जहाज़ निकल सकें।

यह ब्रिज पुराने ब्रिज से 3 मीटर ऊँचा है, जिससे समुद्री संपर्क में सुधार होगा।

इसमें स्टेनलेस स्टील रिइंफोर्समेंट और उच्च गुणवत्ता वाले सुरक्षात्मक पेंट का उपयोग किया गया है।

सब-स्ट्रक्चर को दो ट्रैक के अनुरूप डिजाइन किया गया है, जबकि सुपर-स्ट्रक्चर फिलहाल एकल लाइन को सपोर्ट करता है।

ब्रिज की आवश्यकता क्यों थी:

पुराना पंबन ब्रिज बढ़ते यातायात और आधुनिक परिवहन आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहा था।

नया ब्रिज भारी रेल ट्रैफिक और तेज़ ट्रेनों को समर्थन देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

यह समुद्री नेविगेशन को भी सुगम बनाएगा और पुराने ब्रिज की सीमाओं को दूर करेगा।

रामेश्वरम

निर्माण तकनीक:

आधुनिक इंजीनियरिंग विधियों और उन्नत सामग्रियों का उपयोग हुआ, जैसे स्टेनलेस स्टील।

समुद्री वातावरण में टिकाऊपन सुनिश्चित करने के लिए कॉरोज़न-रेसिस्टेंट कोटिंग्स लगाई गईं।

ऑटो लॉन्चिंग मेथड और हाइड्रोलिक जैकिंग से लिफ्ट स्पैन को स्थापित किया गया।

51 मीटर फ्रंट और 47 मीटर रियर लॉन्चिंग गर्डर्स तथा काउंटरवेट्स से स्पैन को सटीक रूप से पायर्स पर स्थापित किया गया।

चुनौतियाँ और नवाचार:

समुद्री तूफ़ान, भूकंप और तेज़ लहरों जैसी पर्यावरणीय चुनौतियाँ।

निर्माण स्थल दूरस्थ होने के कारण भारी सामग्रियाँ पहुँचाने में दिक्कतें।

इन बाधाओं के बावजूद, निर्माण कार्य सुरक्षित और सफलतापूर्वक पूरा किया गया।

अवसंरचना में प्रगति:

यह ब्रिज भारत की अवसंरचना क्षमताओं का प्रतीक है।

रामेश्वरम ब्रिज विश्व के प्रसिद्ध ब्रिजों जैसे गोल्डन गेट, टावर ब्रिज और ओरेसंड ब्रिज की श्रेणी में शामिल हो गया है।

यह दर्शाता है कि भारत अब भूगोलिक और पर्यावरणीय चुनौतियों से लड़कर वैश्विक स्तर की परियोजनाएँ बना सकता है।

यह ब्रिज 100 वर्षों से अधिक की आयु के लिए डिज़ाइन किया गया है।

2. राम सेतु / आदम का पुल (Ram Setu / Adam’s Bridge)

पौराणिक मान्यता:

राम सेतु एक पौराणिक पुल है जिसका वर्णन रामायण में मिलता है।

भगवान श्रीराम ने लंका (अब श्रीलंका) पर चढ़ाई करने से पहले वानर सेना की सहायता से समुद्र पर एक पुल बनाया था जिससे वे लंका पहुँच सके।

वास्तविक स्थिति:

यह एक प्राकृतिक या कृत्रिम रेत और पत्थरों की श्रृंखला है जो भारत के पंबन द्वीप से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक फैली हुई है।

इसकी लंबाई लगभग 48 किलोमीटर है।

इसे NASA की सैटेलाइट इमेज में स्पष्ट रूप से देखा गया है।

धार्मिक महत्व:

हिंदू धर्म में राम सेतु को अत्यंत पवित्र माना जाता है।

लाखों श्रद्धालु रामेश्वरम आते हैं और राम सेतु का दर्शन कर धर्म लाभ लेते हैं।

निष्कर्ष:

रामेश्वरम ब्रिज केवल एक इंजीनियरिंग चमत्कार नहीं है, बल्कि यह भारत की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक है।

पंबन ब्रिज आधुनिक विज्ञान और इंजीनियरिंग का नमूना है।

राम सेतु श्रद्धा, आस्था और भगवान राम के आदर्शों का प्रतीक है।

इन दोनों का अनुभव लेना किसी भी यात्री के लिए एक अद्वितीय और आध्यात्मिक यात्रा होती है।

जय श्रीराम!

हर हर महादेव!

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