रामबन में कुदरत का कहर: बादल फटने से भारी तबाही, 3 की मौत, 100 से ज्यादा लोगों का रेस्क्यू

रामबन (जम्मू-कश्मीर), 21 अप्रैल 2025 –

जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में रविवार को प्रकृति ने अपना भयावह रूप दिखाया। तेज बारिश के बाद बादल फटने की घटना ने पूरे इलाके में तबाही मचा दी। इस दर्दनाक हादसे में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 100 से अधिक लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू कर लिया गया है।

घटना के बाद पूरे इलाके में अफरातफरी मच गई।

कई घर मलबे में तब्दील हो गए और मुख्य नेशनल हाईवे पूरी तरह अवरुद्ध हो गया है।

कई वाहन कीचड़ और मलबे में फंसे हुए हैं।

हालात इतने गंभीर हो गए कि ड्राइवर अपनी जान बचाने के लिए अपने ट्रक

और गाड़ियाँ छोड़कर भागने पर मजबूर हो गए।

मौसम का दोहरा कहर: पहाड़ों में बारिश, मैदानों में लू

जहां एक ओर पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बादल फटने से जानमाल का नुकसान हो रहा है,

वहीं दूसरी ओर मैदानी इलाकों में भीषण गर्मी से जनजीवन बेहाल है।

दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान के जयपुर, उत्तर प्रदेश के लखनऊ जैसे शहरों में तापमान 44-46 डिग्री सेल्सियस के बीच पहुँच गया है।

सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है, और लोग घरों में रहने को मजबूर हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, आने वाले दिनों में पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में मौसम और अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों के लिए येलो अलर्ट जारी कर दिया है।

राहत और बचाव कार्य जोरों पर

घटना के तुरंत बाद स्थानीय प्रशासन, एनडीआरएफ (National Disaster Response Force), सेना और एसडीआरएफ (State Disaster Response Force) के जवान राहत और बचाव कार्यों में जुट गए।

हेलीकॉप्टरों और बचाव वाहनों की मदद से फंसे हुए लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुँचाया जा रहा है।

प्रशासन ने एहतियात के तौर पर रामबन और उसके आसपास के इलाकों में स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए हैं।

लोगों से अपील की गई है कि वे ऊंचे और सुरक्षित इलाकों में चले जाएं

और प्रशासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें।

जिला अधिकारी ने बताया, “अब तक 100 से ज्यादा लोगों को सुरक्षित निकाला जा चुका है।

सेना और राहत टीमों ने मिलकर कई मुश्किल इलाकों में फंसे लोगों तक पहुँच बनाई है।

रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है।”

नेशनल हाईवे पर भारी जाम, लोग फंसे

रामबन से होकर गुजरने वाला नेशनल हाईवे 44 (NH-44) भी बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

हाईवे पर कई किलोमीटर लंबा ट्रैफिक जाम लग गया है।

यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

कई जगहों पर हाईवे पर मलबा और पानी भर जाने से वाहन फंस गए हैं।

ट्रैफिक पुलिस और राहत टीम लगातार हाईवे को साफ करने का प्रयास कर रही हैं ताकि फंसे हुए वाहनों को निकाला जा सके।

प्रत्यक्षदर्शियों ने बताई डरावनी तस्वीर

घटना के चश्मदीदों ने बताया कि अचानक काले बादल घिरे और तेज गरज के साथ बारिश शुरू हो गई।

कुछ ही मिनटों में पानी का सैलाब गाँवों और सड़कों पर आ गया। गाँव के एक निवासी ने बताया, “हमें समझ ही नहीं आया कि क्या करें।

अचानक ऐसा लगा जैसे पहाड़ से पानी का बड़ा सैलाब आ रहा हो। हम लोग जान बचाकर भागे।”

कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।

प्रशासन और राहत टीमें लगातार खोज और बचाव अभियान चला रही हैं।

प्राकृतिक आपदाओं के बढ़ते खतरे

विशेषज्ञों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन की वजह से प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता दोनों बढ़ रही हैं।

पहाड़ी इलाकों में बेतरतीब निर्माण कार्य और वनों की कटाई भी इस तरह की घटनाओं को बढ़ावा दे रहे हैं। पर्यावरणविदों ने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए तो भविष्य में ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ सकती है।

सरकार और प्रशासन की तैयारियाँ

जम्मू-कश्मीर सरकार ने आपातकालीन बैठक बुलाई है और प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों के लिए अतिरिक्त बल भेजे गए हैं। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की है और बचाव कार्यों को तेज करने के निर्देश दिए हैं।

केंद्र सरकार ने भी स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त सहायता भेजने का आश्वासन दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने रामबन के नजदीकी अस्पतालों में विशेष इंतजाम किए हैं ताकि घायलों को तुरंत उपचार मिल सके।

जनता से अपील

प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और केवल सरकारी सूचनाओं का ही पालन करें। साथ ही, सुरक्षित स्थानों पर रहने और आवश्यकता पड़ने पर हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करने की सलाह दी गई है।

रामबन

निष्कर्ष:

यह हादसा एक बार फिर हमें यह एहसास दिलाता है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना छोटा है। आवश्यकता है कि हम पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखें और समय रहते आपदा प्रबंधन की तैयारियाँ मजबूत करें, ताकि इस तरह की त्रासदियों में जानमाल का नुकसान कम से कम हो।

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