राजनाथ सिंह ने कहा, हमने धर्म नहीं, कर्म देखा है। जम्मू-कश्मीर और भुज दौरे के दौरान सुरक्षा नीति पर दिए गए उनके बयान की पूरी जानकारी पढ़ें।

धर्म के नाम पर अत्याचार का किया खंडन, कर्म के आधार पर कार्रवाई की बात दोहराई
जम्मू-कश्मीर की अपनी हालिया यात्रा के दौरान देश के रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने एक बड़ा और स्पष्ट संदेश दिया है।
उन्होंने कहा, “हमने किसी का धर्म पूछकर नहीं मारा, हमने उनके कर्म देखकर कार्रवाई की है।”
इस बयान ने एक नई बहस को जन्म दिया है – क्या सरकार अब राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर और अधिक निर्णायक हो गई है?
जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा स्थिति की समीक्षा
राजनाथ सिंह का यह बयान उस समय आया जब वे जम्मू-कश्मीर के संवेदनशील इलाकों का दौरा कर रहे थे।
इस दौरे का मुख्य उद्देश्य था – आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करना, स्थानीय सेना और सुरक्षा बलों से संवाद करना, और स्थानीय नागरिकों के मन की बात जानना।
पिछले कुछ महीनों में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई है।
इसका श्रेय सुरक्षा बलों की सक्रियता, बेहतर इंटेलिजेंस नेटवर्क, और केंद्र सरकार की स्पष्ट नीति को दिया जा रहा है।
रक्षा मंत्री का स्पष्ट संदेश: कोई भेदभाव नहीं
राजनाथ सिंह ने जम्मू क्षेत्र में सैनिकों को संबोधित करते हुए कहा:
“हमने कभी किसी से उसका धर्म नहीं पूछा। हमने यह देखा कि उसने क्या किया है।
जो देश के खिलाफ काम करेगा, उसे जवाब मिलेगा – चाहे वह किसी भी धर्म, जाति या समुदाय से क्यों न हो।”
इस बयान के ज़रिए उन्होंने उन आलोचकों को भी जवाब दिया है जो यह आरोप लगाते हैं कि सुरक्षा बलों द्वारा की जाने वाली कार्रवाई पक्षपातपूर्ण होती है।
‘नया भारत’ केवल देखता है कर्म, न कि धर्म
रक्षा मंत्री ने आगे कहा, “नया भारत न तो डरता है और न ही भेदभाव करता है।
हम आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं।”
उन्होंने यह भी बताया कि सेना और अर्धसैनिक बलों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं – कानून के दायरे में रहते हुए सख्त कार्रवाई करें।
स्थानीय जनता को दिया भरोसा – “आपके साथ है भारत सरकार”
राजनाथ सिंह ने स्थानीय लोगों से भी संवाद किया और उनकी समस्याओं को सुना।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार जम्मू-कश्मीर के विकास, शांति और स्थिरता के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे ‘गुमराह करने वाली ताकतों‘ से दूर रहें और मुख्यधारा में आकर देश के निर्माण में सहयोग करें।
गुजरात के भुज एयरबेस का दौरा करेंगे रक्षा मंत्री
रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है यह एयरबेस
जम्मू-कश्मीर के बाद रक्षा मंत्री आज गुजरात के भुज एयरबेस का दौरा करेंगे।
भुज एयरबेस को भारत की सैन्य रणनीति में एक बेहद महत्वपूर्ण कड़ी माना जाता है,
खासकर पश्चिमी सीमा की सुरक्षा के संदर्भ में।
सैन्य तैयारियों का जायज़ा लेंगे रक्षामंत्री
भुज एयरबेस पर राजनाथ सिंह भारतीय वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक करेंगे।
इस बैठक में वे निम्नलिखित बिंदुओं की समीक्षा करेंगे:
सीमा पर वायु सुरक्षा की स्थिति
आधुनिक हथियारों और उपकरणों की तैनाती
आपातकालीन स्थितियों से निपटने की तैयारी
पश्चिमी सीमाओं पर वायुसेना की रणनीति
रक्षा मंत्री का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब पाकिस्तान की ओर से कुछ उकसाने वाली गतिविधियों की खबरें आ रही हैं।
ऐसे में भारत की तैयारियों की समीक्षा बेहद आवश्यक मानी जा रही है।

रक्षा मंत्री का दोहरा संदेश – कड़ा भी, भरोसेमंद भी
राजनाथ सिंह के जम्मू-कश्मीर और भुज दौरे को लेकर यह स्पष्ट संदेश सामने आता है – भारत न केवल भीतरूनी और बाहरी खतरों के प्रति सजग है,
बल्कि वह हर मोर्चे पर कड़ा और संतुलित रवैया अपना रहा है।
उनका धर्म और कर्म वाला बयान इस बात का प्रमाण है कि भारत अब आतंकवाद, अलगाववाद या देशविरोधी ताकतों से बिना भेदभाव लड़ेगा,
लेकिन नागरिकों के अधिकारों की रक्षा भी उसी गंभीरता से करेगा।
राजनीतिक हलकों में भी हलचल
राजनाथ सिंह के इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में भी चर्चाएं तेज हो गई हैं।
विपक्षी दलों ने इस पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी है। कुछ नेताओं ने इसे साहसिक बयान बताया है,
वहीं कुछ ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया है।
कांग्रेस नेता ने कहा, “अगर सरकार सच में कर्म देख रही है, तो फिर रिपोर्ट्स में धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले भेदभाव की बात क्यों आती है?”
वहीं भाजपा प्रवक्ताओं ने बयान का समर्थन करते हुए कहा, “यह नया भारत है – जहां न्याय और सुरक्षा सर्वोपरि है।”
निष्कर्ष: भारत की नीति साफ – आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं
राजनाथ सिंह के इस बयान और दौरों से यह साफ है कि केंद्र सरकार किसी भी प्रकार के देशविरोधी कृत्यों को बर्दाश्त नहीं करेगी।
धर्म, जाति या भाषा की आड़ में कोई भी व्यक्ति देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता।
इस समय जब देश वैश्विक स्तर पर अपनी रणनीतिक स्थिति मजबूत कर रहा है,
तब इस तरह के स्पष्ट और निर्णायक बयानों की आवश्यकता है।
भारत का रुख साफ है – कर्म प्रधान है, धर्म नहीं।