महावीर जयंती यात्रा पर पथराव: गुना में धार्मिक सौहार्द पर सवाल, विपक्ष की चुप्पी पर उठे सवाल

[धार्मिक] By AllIndiaUSANews14.com | Updated: April 13, 2025

गुना (मध्य प्रदेश):

महावीर जयंती के अवसर पर मध्य प्रदेश के गुना ज़िले में निकाली जा रही शोभायात्रा पर पथराव की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया है।

बताया जा रहा है कि यह पथराव मस्जिद की छत से किया गया।

इस हमले में हनुमान के रूप में शामिल एक युवक “समर्थ” के साथ मारपीट की गई और उसे भद्दी गालियाँ दी गईं।

पुलिस की कार्रवाई:

स्थानीय पुलिस ने घटना के तुरंत बाद कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपी सहित 8 अन्य लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।

घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिससे जन आक्रोश और अधिक बढ़ गया है।

धार्मिक त्योहारों पर बार-बार हमले क्यों?

यह पहली बार नहीं है जब किसी हिंदू पर्व पर इस तरह का हमला हुआ हो।

पिछले कुछ वर्षों में राम नवमी, हनुमान जयंती और

अब महावीर जयंती जैसे आयोजनों पर पथराव, हिंसा और अराजकता की घटनाएं सामने आई हैं।

विशेष रूप से तब जब ये शोभायात्राएं मुस्लिम बहुल इलाकों से गुजरती हैं।

सवाल ये उठता है कि आखिर क्यों एक धर्म विशेष के त्योहारों को बार-बार निशाना बनाया जा रहा है?

नमाज़ के बाद हिंसा का ट्रेंड बढ़ता हुआ?

स्थानीय लोगों का आरोप है कि जुमे की नमाज़ के बाद उग्र भीड़ इकट्ठा हुई और पथराव शुरू कर दिया गया।

कई घटनाओं में यह देखा गया है कि नमाज़ के तुरंत बाद भीड़ हिंसक हो जाती है।

यह न केवल धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाता है, बल्कि कानून व्यवस्था को भी खुली चुनौती है।

राजनीतिक दलों की चुप्पी—चिंता का विषय

इस घटना को लेकर सबसे बड़ा सवाल विपक्ष की चुप्पी पर उठ रहा है। न तो किसी बड़े नेता ने इस घटना की निंदा की,

और न ही पीड़ित समुदाय के पक्ष में आवाज़ उठाई।

कई लोगों का मानना है कि वोटबैंक की राजनीति के चलते कुछ नेता केवल एक वर्ग का तुष्टीकरण कर रहे हैं।

बंगाल में भी दोहराई गई हिंसा की तस्वीर

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भी ऐसी ही घटना सामने आई जहाँ धार्मिक यात्रा पर हमला किया गया,

बसों में आग लगा दी गई, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है।

उल्टा वे सार्वजनिक मंचों से मुस्लिम समुदाय का समर्थन करती दिखीं।

MP में बुलडोजर एक्शन की माँग

गुना की घटना के बाद लोगों में इतना आक्रोश है कि अब वे बुलडोजर कार्रवाई की माँग कर रहे हैं।

लोगों का कहना है कि हर बार मस्जिद की छतों से पत्थर क्यों गिरते हैं?

डीजे और भजन से आपत्ति जताने वाले लोग क्या दिन में पाँच बार लाउडस्पीकर पर अज़ान नहीं सुनाते?

हिंदू त्योहारों के लिए भी अनुमति लेनी पड़ेगी?

घटनाओं की इस शृंखला ने इस सोच को जन्म दे दिया है कि क्या अब हिंदू समुदाय को अपने धार्मिक त्योहार मनाने के लिए भी डर और इजाज़त की ज़रूरत होगी?

क्या लोकतंत्र में एक धर्म विशेष को खुलेआम धमकियां मिलना अब सामान्य होता जा रहा है?

निष्कर्ष:

भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, जहाँ सभी धर्मों को समान अधिकार मिले हुए हैं।

लेकिन जब एक समुदाय के धार्मिक त्योहारों को बार-बार टारगेट किया जाता है और राजनीतिक दल चुप्पी साधे रहते हैं,

तो यह लोकतंत्र, सामाजिक समरसता और संविधान—तीनों के लिए खतरे की घंटी है।

अब समय आ गया है कि सख्त कार्रवाई हो, ताकि देश में कोई भी नागरिक बिना डर के अपने धर्म और परंपराएं निभा सके।

धार्मिक

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