भारत से हार के बावजूद असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाना पाकिस्तान की बड़ी साजिश है। जानिए कैसे प्रोपेगेंडा से जनता को गुमराह किया जा रहा है।

एक अनोखा फैसला, जो केवल पाकिस्तान में ही संभव है
जब दुनिया में युद्ध हारने पर सेना के अफसरों की जिम्मेदारी तय की जाती है,
उन्हें डिमोट किया जाता है या हटाया जाता है,
वहीं पाकिस्तान में इसका ठीक उल्टा हो रहा है।
भारत के हाथों करारी हार झेलने के बाद पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की पदोन्नति दे दी है।
यह फैसला न केवल चौंकाने वाला है बल्कि कई सवालों को भी जन्म देता है।
जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाना: असल मंशा क्या है?
हार के बाद इनाम क्यों?
सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि भारत से युद्ध जैसी स्थिति में शर्मनाक हार झेलने के बाद किसी भी देश की सेना के प्रमुख को इनाम देना एक असामान्य बात है।
यह पूरी दुनिया के लिए हैरान करने वाला निर्णय है।
पाकिस्तान में यह फैसला शायद वहां की जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए लिया गया है।
जनरल असीम मुनीर का अतीत: एक अनुशासित और रहस्यमयी सैन्य अधिकारी
प्रारंभिक सैन्य जीवन और प्रशिक्षण
जनरल असीम मुनीर ने पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी (PMA) से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया और फ्रंटियर फोर्स रेजिमेंट से कमीशन प्राप्त किया।
वे ऐसे अधिकारियों में से हैं जिन्होंने शुरुआत से ही कठोर अनुशासन और सख्त निर्णयों के लिए पहचान बनाई।
खुफिया विभागों में कार्यकाल
उनका करियर तब नज़र में आया जब वे मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) के महानिदेशक बने।
इसके बाद उन्हें पाकिस्तान की सबसे प्रभावशाली खुफिया एजेंसी आईएसआई (ISI) का डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया।
हालाँकि, ISI प्रमुख के रूप में उनका कार्यकाल मात्र 8 महीने का रहा, जो इस पद के इतिहास में सबसे छोटा था।
सेना प्रमुख बनने की राह
हालांकि ISI से जल्दी हटाए जाने के बाद कुछ अटकलें थीं, फिर भी असीम मुनीर को 2022 में पाकिस्तानी सेना प्रमुख बनाया गया।
यह नियुक्ति उस समय की सरकार के लिए एक रणनीतिक निर्णय थी,
जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को संतुलित करने के तौर पर भी देखा गया।
व्यक्तित्व और छवि
जनरल असीम मुनीर को एक धार्मिक, सख्त और सत्ता-केंद्रित अधिकारी माना जाता है।
वे अपने धार्मिक आचरण के लिए भी प्रसिद्ध हैं और अक्सर कुरान की आयतों के ज़रिये अपने भाषणों की शुरुआत करते हैं।
जनरल मुनीर का अतीत दिखाता है कि वे केवल एक सैन्य अधिकारी नहीं, बल्कि पाकिस्तान की सत्ता के केंद्र में मौजूद एक शक्तिशाली चेहरा हैं, जिनका प्रभाव सेना से लेकर राजनीति तक फैला हुआ है।
जनता को गुमराह करने की कोशिश
इस समय पाकिस्तान में माहौल कुछ ऐसा बनाया जा रहा है जैसे उन्होंने भारत पर विजय प्राप्त कर ली हो।
टीवी चैनलों पर जश्न, सोशल मीडिया पर झूठी कहानियां और यहां तक कि “भारत को हराने” का जश्न मनाते हुए गीत भी बनाए गए हैं।
इसी कड़ी में अब जनरल असीम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि देकर यह जताने की कोशिश की जा रही है कि पाकिस्तान की सेना ने एक ऐतिहासिक जीत दर्ज की है।
फील्ड मार्शल की उपाधि: सैन्य इतिहास और पाकिस्तान की साजिश
सैन्य परंपराओं का उल्लंघन

फील्ड मार्शल की उपाधि विश्वभर में अत्यंत दुर्लभ और विशिष्ट सैन्य उपलब्धियों पर दी जाती है।
यह पद न केवल सम्मानजनक होता है,
बल्कि यह दर्शाता है कि उस व्यक्ति ने युद्ध या रणनीतिक दृष्टिकोण से असाधारण सेवा की है।
लेकिन पाकिस्तान में इसका उपयोग अब केवल प्रोपेगेंडा चलाने और अपने नागरिकों को भ्रमित करने के लिए किया जा रहा है।
साजिश के संकेत
इस पूरी योजना के पीछे एक सोची-समझी साजिश की बू आती है।
यह साजिश केवल पाकिस्तान की जनता ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी भ्रमित करने की कोशिश है।
इसका उद्देश्य साफ है — दुनिया को यह दिखाना कि पाकिस्तान ने भारत को मात दी है और अब उनके सेना प्रमुख को ऐतिहासिक सम्मान दिया जा रहा है।
पाकिस्तान में सेना का वर्चस्व: सरकार नहीं, सेना चलाती है देश
“देश के पास सेना नहीं, सेना के पास देश है”
पाकिस्तान में यह कहावत आम है कि “वहां सरकार नहीं, सेना की हुकूमत चलती है।”
दशकों से पाकिस्तान में सेना ही असली ताकत रही है। चाहे वह लोकतांत्रिक सरकारें हों या सैन्य तानाशाही, सेना ने हमेशा पर्दे के पीछे से सत्ता चलाई है।
राजनीतिक ढांचे का अपहरण
राजनीति में दखल, मीडिया को नियंत्रित करना और विदेश नीति को दिशा देना—यह सब कुछ पाकिस्तान की सेना के इशारे पर होता है।
इस बार भी, फील्ड मार्शल की पदोन्नति शायद एक राजनीतिक कदम है ताकि सेना का वर्चस्व और मजबूत हो सके और वहां की जनता को बताया जा सके कि सेना ही देश की असली रक्षक है।
भारत की जीत और पाकिस्तान का झूठा नैरेटिव
दुनिया जानती है सच्चाई
भले ही पाकिस्तान अपने यहां यह प्रचारित कर रहा हो कि उन्होंने भारत को युद्ध में हराया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया, खुफिया एजेंसियां और वैश्विक विश्लेषकों के अनुसार यह दावा पूरी तरह से झूठा है।
भारत ने सैन्य, कूटनीतिक और मनोवैज्ञानिक तीनों स्तरों पर पाकिस्तान को पीछे छोड़ा है।
प्रोपेगेंडा का विस्तार
पाकिस्तान ने सोशल मीडिया और मीडिया चैनलों का जमकर इस्तेमाल किया है।
भारत विरोधी गाने, झूठी जीत की खबरें और सेना के ‘शौर्य’ का महिमामंडन—ये सब कुछ एक सुनियोजित योजना का हिस्सा हैं।
और अब असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाना उसी रणनीति का अगला कदम है।
भारत की रणनीति: दुनिया को सच बताने की मुहिम
वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक प्रयास
भारत इस समय पूरी दुनिया में अपने राजनयिकों और नेताओं को भेज रहा है ताकि पाकिस्तान के झूठे प्रचार की सच्चाई को उजागर किया जा सके।
भारत की यह रणनीति है कि बड़े-बड़े देशों को यह बताया जाए कि असल में क्या हुआ
और पाकिस्तान कैसे अपने ही नागरिकों और दुनिया को धोखा दे रहा है।
पाकिस्तान की पोल खोलना जरूरी
ऐसे समय में जब पाकिस्तान एक तरफ आतंकवाद को पालता है और दूसरी ओर खुद को “पीड़ित” बताता है,
भारत के लिए यह और भी जरूरी हो गया है कि वह वैश्विक मंचों पर पाकिस्तान की चालबाजियों का पर्दाफाश करे।
भारत की विदेश नीति अब केवल प्रतिक्रिया तक सीमित नहीं है,
बल्कि proactive यानी सक्रिय होकर दुनिया को सच्चाई बताने में लगी है।
असलियत और दिखावे की लड़ाई
जहां भारत जीत की सच्चाई के साथ दुनिया को सच दिखाने में लगा है,
वहीं पाकिस्तान झूठे सम्मान, फर्जी प्रचार और गुमराह करने वाले प्रोपेगेंडा में व्यस्त है।
असीम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाना एक सैन्य सम्मान नहीं, बल्कि एक राजनीतिक हथकंडा है—
जो केवल जनता की आंखों में धूल झोंकने और सेना की साख बचाने का प्रयास है।
भारत को चाहिए सतर्कता और मजबूती
भारत को न केवल सैन्य दृष्टि से सतर्क रहना चाहिए, बल्कि प्रोपेगेंडा युद्ध में भी मजबूती से लड़ना होगा।
क्योंकि आज की दुनिया में युद्ध केवल सीमा पर नहीं,
बल्कि टीवी, इंटरनेट और सोशल मीडिया पर भी लड़ा जाता है।
अंततः, यह कहना गलत नहीं होगा कि पाकिस्तान में जो कुछ भी हो रहा है,
वह केवल एक ‘इमेज बिल्डिंग’ अभियान है।
जबकि भारत की नीतियां ज़मीन पर आधारित हैं और उनका उद्देश्य वैश्विक स्थिरता एवं सच्चाई की रक्षा करना है।