भारत ने साफ कर दिया है कि अब पाकिस्तान से केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर ही बातचीत होगी।
जानिए सरकार का रुख, ऑपरेशन सिंदूर, विपक्ष की प्रतिक्रिया और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति की पूरी जानकारी इस लेख में।”
आतंकवादी हमले के 30 दिन पूरे
आज पुलवामा जैसे संवेदनशील क्षेत्र पहलगाम में हुए आतंकी हमले को पूरे 30 दिन हो चुके हैं।
इस हमले में हमारे कई जवान शहीद हुए और देश एक बार फिर गम और गुस्से से भर गया।
इन 30 दिनों में भारत सरकार और सेना ने आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं।
वहीं, देश की जनता और राजनीतिक पार्टियों के बीच बहस भी तेज हो गई है कि हमने क्या खोया और क्या पाया।
विदेश मंत्रालय का स्पष्ट संदेश: पाकिस्तान से अब सिर्फ आतंक और पीओके पर बात
भारत के विदेश मंत्रालय (MEA) ने एक बार फिर दोहराया है कि अब पाकिस्तान से बातचीत का मुद्दा केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) तक सीमित रहेगा।
किसी भी अन्य विषय पर चर्चा की कोई गुंजाइश नहीं है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह भारत की रणनीतिक और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति का हिस्सा है।
पाकिस्तान को आतंकी सौंपने की मांग

विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान को उन आतंकियों को भारत के हवाले करना होगा जो भारतीय जमीन पर हमले करने के आरोपी हैं और इस समय पाकिस्तान की सरज़मीन पर शरण लिए हुए हैं।
यह भारत की प्रमुख मांगों में से एक है, और जब तक यह पूरी नहीं होती, तब तक सामान्य रिश्तों की बहाली की कोई संभावना नहीं है।
किसी तीसरे पक्ष की आवश्यकता नहीं: भारत की दो टूक
विदेश मंत्रालय ने दुनिया को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई ज़रूरत नहीं है।
भारत चाहता है कि सारी बातचीत सीधे पाकिस्तान से हो।
अमेरिका, चीन या अन्य देश इस मामले में हस्तक्षेप न करें क्योंकि यह द्विपक्षीय मामला है।
बिकानेर से आया संदेश: अब सिर्फ आतंक और पीओके की बात
आज बिकानेर में दिए गए एक भाषण में भारत सरकार के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि ने भी यही बात दोहराई कि अब पाकिस्तान से बातचीत सिर्फ दो ही मुद्दों पर होगी –
आतंकवाद और पीओके।
इससे यह स्पष्ट हो गया है कि भारत अब किसी और दिशा में सोचने को तैयार नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी का बयान: ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभी भी जारी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सभा में कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” अभी भी जारी है और देश की सेना अपना काम कर रही है।
यह ऑपरेशन आतंकवादियों के खिलाफ एक विशेष अभियान है जो गुप्त रूप से चल रहा है।
इसका उद्देश्य भारत की सुरक्षा को मजबूत करना और सीमा पार से होने वाले आतंकी हमलों को समाप्त करना है।
विपक्ष का रुख: सरकार से जवाब मांगा जा रहा
जहां एक ओर सरकार आतंकवाद पर कड़ा रुख अपनाए हुए है,
वहीं दूसरी ओर विपक्षी पार्टियां लगातार सवाल उठा रही हैं। वे बार-बार मांग कर रही हैं कि सरकार जनता को यह बताए कि:
इस संघर्ष में भारत ने क्या खोया?
हमें क्या हासिल हुआ?
कौन सी रणनीति अपनाई गई?
नेताओं की आलोचना, सेना की सराहना
विपक्षी दलों का कहना है कि भारत की सेना ने अपनी भूमिका बखूबी निभाई है, लेकिन देश के नेताओं से अपेक्षित नेतृत्व नहीं मिल रहा। उनकी आलोचना है कि जब सेना जान पर खेलकर आतंकियों से लड़ रही है, तो राजनीतिक नेतृत्व को और अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही दिखानी चाहिए।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की कूटनीतिक मुहिम
सरकार ने इस पूरे मामले को केवल सैन्य दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि कूटनीतिक दृष्टिकोण से भी संभालने की कोशिश की है। भारत ने विभिन्न देशों में अपने प्रतिनिधिमंडल (delegations) भेजे हैं ताकि पाकिस्तान की असली सच्चाई दुनिया के सामने लाई जा सके।
दुनिया को बताई जा रही है पाकिस्तान की असलियत
इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य यह है कि:
पाकिस्तान में पल रहे आतंकियों के ठिकानों को उजागर किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह बताया जाए कि पाकिस्तान किस तरह आतंक को शह दे रहा है।
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय यूनियन और अन्य वैश्विक मंचों पर भारत की बात प्रभावशाली ढंग से रखी जा सके।
भारत को मिल रहा है वैश्विक समर्थन
भारत की इस कूटनीतिक मुहिम का असर भी दिख रहा है। अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, जापान जैसे देशों ने भारत के रुख का समर्थन किया है। उन्होंने पाकिस्तान से मांग की है कि वह आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।
देश के भीतर माहौल: जनता की भावना और मीडिया की भूमिका
देश की जनता इस समय बहुत संवेदनशील और भावुक है। जवानों की शहादत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। सोशल मीडिया से लेकर न्यूज़ चैनलों तक, हर जगह एक ही सवाल गूंज रहा है – आखिर कब तक भारत आतंकवाद का शिकार बनता रहेगा?
जनता का समर्थन: ‘आतंक के खिलाफ कड़ा कदम उठाओ’
जनता सरकार से मांग कर रही है कि वह:
आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे,
पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पूरी तरह से अलग-थलग करे,
और यह सुनिश्चित करे कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
राजनीतिक दलों में मतभेद: राष्ट्रीय एकता की ज़रूरत
यह भी देखा जा रहा है कि इस गंभीर मुद्दे पर भी राजनीतिक दल आपस में एकजुट नहीं हो पा रहे हैं। एक ओर सत्तारूढ़ पार्टी है जो कार्रवाई कर रही है, दूसरी ओर विपक्ष है जो लगातार सवाल उठा रहा है। इस परिस्थिति में राष्ट्रीय एकता और सामूहिक रणनीति की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
भारत का नया सुरक्षा दृष्टिकोण
भारत अब यह स्पष्ट कर चुका है कि:
1. पाकिस्तान से सामान्य रिश्ते तभी बहाल होंगे जब वह आतंकियों को सौंपे और पीओके पर गंभीर बातचीत करे।
2. तीसरे पक्ष की मध्यस्थता पूरी तरह अस्वीकार्य है।
3. कूटनीति और सैन्य अभियान दोनों स्तर पर भारत सक्रिय है।
आने वाले दिनों में क्या होगा?
क्या पाकिस्तान भारत की मांगों को मानेगा?
आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस अंतरराष्ट्रीय दबाव बनेगा?
क्या भारत की घरेलू राजनीति इस मुद्दे पर एकजुट हो पाएगी?
इन सवालों के जवाब आने वाले समय में मिलेंगे, लेकिन इतना तय है कि भारत ने इस बार आतंकवाद और पाकिस्तान के प्रति अपना सबसे सख्त रुख अपनाया है, और पूरी दुनिया इसका संज्ञान ले रही है।