पाकिस्तान में दिन-दहाड़े धमाके: लाहौर सहित 8 जगहों पर आतंक, 14 सैनिकों की मौत

पाकिस्तान में हाई अलर्ट के बावजूद दिन में भी हो रहे हैं धमाके। लाहौर सहित आठ शहरों में सीरियल ब्लास्ट, 14 सैनिकों की मौत। जानिए क्या है इसके पीछे की वजह और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया।

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धमाकों से दहला पाकिस्तान: अब रात नहीं, दिन में भी हमला

पाकिस्तान इस समय अपनी अब तक की सबसे गंभीर आंतरिक सुरक्षा संकट से गुजर रहा है।

एक समय था जब पाकिस्तान में आतंकी घटनाएं अधिकतर रात के अंधेरे में होती थीं,

लेकिन अब हालात बदल गए हैं। अब दिन के उजाले में भी धमाके हो रहे हैं,

और यह स्थिति पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ा सिरदर्द बन चुकी है।

लाहौर सहित 8 स्थानों पर धमाके: खुद अधिकारियों ने की पुष्टि

पाकिस्तानी अधिकारियों ने पुष्टि की है कि लाहौर के अलावा देश के कम से कम आठ अन्य स्थानों पर भी धमाके हुए हैं।

ये धमाके अचानक हुए और इनकी कोई पूर्व चेतावनी नहीं थी।

इससे साफ है कि पाकिस्तान का खुफिया तंत्र और सुरक्षा ढांचा पूरी तरह विफल हो चुका है।

किसने किए ये धमाके? अब तक कोई पुष्टि नहीं

इन धमाकों के पीछे कौन संगठन या समूह है, इस बारे में अभी तक कोई स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पाई है।

पाकिस्तान की सरकार और सेना इस समय सिर्फ अनुमान ही लगा रही है।

कभी भारत पर शक, कभी बलूचिस्तान के अलगाववादियों पर, लेकिन ठोस सबूत किसी के पास नहीं।

बलूचिस्तान से भी हो सकता है संबंध

विशेषज्ञों का मानना है कि बलूचिस्तान के विद्रोही समूह, जो वर्षों से पाकिस्तान सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, इन धमाकों में शामिल हो सकते हैं।

हालांकि, किसी संगठन ने अब तक इन धमाकों की जिम्मेदारी नहीं ली है।

लाहौर धमाके में 14 सैनिकों की मौत

लाहौर में हुए एक भीषण धमाके में पाकिस्तानी सेना के 14 जवान मारे गए हैं।

यह आंकड़ा अभी भी बढ़ सकता है क्योंकि कई घायल सैनिकों की हालत गंभीर बनी हुई है।

घायलों की संख्या भी सैकड़ों में

धमाकों में सिर्फ सेना ही नहीं, आम नागरिक भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।

अस्पतालों में घायल नागरिकों की संख्या बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों और अस्पताल स्टाफ पर दबाव बढ़ चुका है।

पाकिस्तान हाई अलर्ट पर, लेकिन नाकाम

पाकिस्तान की सरकार ने घोषणा की है कि देश हाई अलर्ट पर है।

वायु सुरक्षा प्रणाली (एयर डिफेंस सिस्टम), सीमाओं पर सेना की निगरानी, और आतंरिक सुरक्षा एजेंसियों को पूरी तरह सक्रिय कर दिया गया है।

लेकिन बावजूद इसके, धमाके लगातार हो रहे हैं।

हाई अलर्ट का क्या फायदा जब धमाके ना रुकें?

अगर इतने अलर्ट के बावजूद धमाके नहीं रुक पा रहे, तो यह पाकिस्तान की सुरक्षा नीति पर बड़ा सवाल है।

आखिर, इतने संसाधनों और सेना के बावजूद आतंकवादी पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमले कैसे कर पा रहे हैं?

भारत को बनाया जाएगा जिम्मेदार?

इतिहास गवाह है कि हर आतंकी घटना के बाद पाकिस्तान भारत का नाम घसीटता है।

इस बार भी संभावना है कि जल्द ही पाकिस्तान भारत पर आरोप लगाएगा, चाहे उसके पास कोई प्रमाण हो या नहीं।

ऑपरेशन सन्दूर की छाया

हाल ही में भारत द्वारा कथित तौर पर पाकिस्तान में ऑपरेशन सन्दूर के तहत आतंकियों पर की गई कार्रवाई भी चर्चा में रही। कहा जा रहा है कि उसके जवाब में या उसकी आड़ में अब पाकिस्तान में आतंकवाद ने विकराल रूप ले लिया है।

अंदर से बिखरता पाकिस्तान: हर दिशा से संकट

इस समय पाकिस्तान चारों तरफ से संकट में घिरा हुआ है:

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आर्थिक संकट: डॉलर की भारी कमी, महंगाई, बेरोजगारी चरम पर।

राजनीतिक अस्थिरता: इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद से राजनीतिक भूचाल।

सुरक्षा संकट: दिन में भी धमाकों की खबरें, सेना पर हमले।

आंतरिक विद्रोह: बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में अलगाववाद चरम पर।

क्या कार्रवाई करेगा पाकिस्तान?

पाकिस्तान की हालत ऐसी नहीं कि वह कोई ठोस जवाबी कार्रवाई कर सके। सिर्फ बयानबाजी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रोने के अलावा उसके पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

गिद्धभक्षियों की भीड़: राजनीतिक लाभ उठाने की होड़

पाकिस्तान की राजनीति में इस वक्त कई ‘गिद्धभक्षी’ नेता हैं जो इन घटनाओं का राजनीतिक लाभ उठाने में जुटे हुए हैं। सेना भी अपनी असफलताओं को छिपाने के लिए अलग-अलग दिशाओं में झूठी कहानियाँ फैला रही है।

निष्कर्ष: पाकिस्तान के लिए कठिन समय की शुरुआत

इन ताज़ा धमाकों ने यह साबित कर दिया है कि पाकिस्तान अब खुद अपने ही जाल में फँस चुका है। जिन आतंकियों को वह कभी ‘रणनीतिक संपत्ति’ कहता था, अब वही उसके लिए विनाश का कारण बन रहे हैं।

आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान कैसे इस संकट से निपटता है—या फिर अंदर से और टूटता चला जाता है।

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