सीजफायर के कुछ घंटों बाद पाकिस्तान ने LOC पर गोलीबारी की। चीन ने पाकिस्तान का समर्थन किया,
भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया और सतर्कता जताई।

सीजफायर के उल्लंघन के साथ ही क्षेत्रीय अस्थिरता की आहट
सीजफायर की पृष्ठभूमि: एक उम्मीद की किरण
भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों से चला आ रहा सीमा विवाद और आतंकवाद से जुड़ी घटनाएं अक्सर संघर्ष विराम को असफल बनाती रही हैं।
हाल ही में दोनों देशों ने एक बार फिर संघर्ष विराम (सीजफायर) पर सहमति जताई थी।
यह समझौता सुरक्षा, स्थिरता और शांति के लिहाज से एक सकारात्मक कदम माना जा रहा था।
सीमा पर तैनात सैन्य अधिकारियों की बातचीत के माध्यम से यह तय हुआ कि किसी भी प्रकार की गोलीबारी या घुसपैठ की कोशिश को रोका जाएगा।
इस समझौते के ऐलान के साथ ही भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के लोगों को एक बार फिर शांति की आशा जगी थी।
पाकिस्तान की हरकत: कुछ ही घंटों में हुआ वादा भंग
लेकिन यह शांति ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई।
संघर्ष विराम लागू होने के केवल कुछ घंटों बाद ही पाकिस्तान की ओर से गोलीबारी शुरू कर दी गई।
जम्मू-कश्मीर के पुंछ और राजौरी सेक्टर में एलओसी (LOC) पर भारी गोलाबारी की खबरें सामने आईं।
भारतीय सेना ने जवाबी कार्रवाई की, लेकिन इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया कि पाकिस्तान संघर्ष विराम के वादे को गंभीरता से नहीं ले रहा है।
सोशल मीडिया पर ड्रोन गतिविधियों की पुष्टि
गोलीबारी के साथ-साथ पाकिस्तान की ओर से ड्रोन गतिविधियों की भी खबरें आईं।
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ला और गुजरात के गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस बात की पुष्टि की कि भारतीय सीमा में संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं।
इससे यह आशंका और गहराई कि पाकिस्तान संघर्ष विराम का उपयोग केवल रणनीतिक रूप से कर रहा है,
न कि शांति बहाली के लिए।
चीन का पाकिस्तान को समर्थन: रणनीतिक गठबंधन का इशारा
सीजफायर उल्लंघन के तुरंत बाद चीन ने पाकिस्तान के पक्ष में बयान जारी किया,
जिसने इस घटनाक्रम को और भी संवेदनशील बना दिया।
वांग यी और इशाक डार की बातचीत

चीनी विदेश मंत्री वांग यी और पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के बीच एक टेलीफोनिक बातचीत हुई।
इस बातचीत में डार ने चीन को क्षेत्रीय हालात, जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले और भारत-पाकिस्तान के बीच हुई सैन्य झड़पों की जानकारी दी।
इसके जवाब में वांग यी ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन “पाकिस्तान की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय स्वतंत्रता” के साथ मजबूती से खड़ा है।
बयान की टाइमिंग पर सवाल
चीन द्वारा यह बयान उस समय आया जब पाकिस्तान ने अभी-अभी संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था।
इस समय पर दिया गया समर्थन केवल एक सामान्य कूटनीतिक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश माना जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, यह चीन की ओर से भारत को यह बताने का तरीका है कि वह पाकिस्तान के साथ अपने सैन्य और रणनीतिक संबंधों को बनाए रखेगा,
चाहे वैश्विक दबाव कितना भी क्यों न हो।
भारत की प्रतिक्रिया: संयम और चेतावनी दोनों
भारत सरकार ने अब तक आधिकारिक रूप से संयमित प्रतिक्रिया दी है,
लेकिन सैन्य स्तर पर सतर्कता बढ़ा दी गई है।
संघर्ष विराम उल्लंघन पर भारत की सख्त नजर
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि भारत किसी भी उकसावे को नजरअंदाज नहीं करेगा।
पाकिस्तान की ओर से किए गए संघर्ष विराम उल्लंघन को गंभीरता से लिया गया है,
और जवाबी कार्रवाई के लिए सभी विकल्प खुले हैं।
भारतीय सेना के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि LOC पर निगरानी बढ़ा दी गई है,
और किसी भी घुसपैठ या ड्रोन गतिविधि को तुरंत निष्प्रभावी किया जाएगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील
भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय, विशेषकर संयुक्त राष्ट्र और अमेरिका से अपील की है कि वे पाकिस्तान और चीन के
इस गठबंधन को गंभीरता से लें और आतंकवाद व संघर्ष विराम उल्लंघन की निंदा करें।
भारत का यह भी कहना है कि इस प्रकार की घटनाएं न केवल दक्षिण एशिया में बल्कि पूरी दुनिया में शांति
और स्थिरता को प्रभावित कर सकती हैं।
क्या बढ़ेगा भारत-पाक तनाव?
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच शांति केवल समझौतों पर निर्भर नहीं रह सकती।
पाकिस्तान की नीति में स्थायित्व की कमी और चीन जैसे देशों का समर्थन उसे बार-बार ऐसे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
विशेषज्ञों की राय
रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है,
“जब तक पाकिस्तान आतंकवाद और सीमा पार हमलों को अपनी कूटनीति का हिस्सा बनाए रखेगा, तब तक भारत को सतर्क रहना होगा।”
पूर्व विदेश सचिव शिवशंकर मेनन के अनुसार, “चीन-पाक गठबंधन केवल भारत की सीमाओं पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत के खिलाफ रणनीति बना सकता है।”
भविष्य की रणनीति: भारत के लिए रास्ते क्या हैं?
भारत को अब द्वि-मोर्चीय खतरे का सामना करना पड़ रहा है — पश्चिम में पाकिस्तान और उत्तर में चीन।
ऐसे में भारत को केवल सैन्य नहीं बल्कि कूटनीतिक, तकनीकी और आर्थिक स्तर पर भी तैयार रहना होगा।
कुछ संभावित रणनीतियाँ:
सीमा पर तकनीकी निगरानी प्रणाली को और मजबूत करना
अमेरिका, फ्रांस, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाना
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान और चीन के गठबंधन को उजागर करना
आतंकी फंडिंग और हथियार आपूर्ति पर वैश्विक प्रतिबंध की मांग करना
निष्कर्ष: संघर्ष विराम या मात्र दिखावा?
सीजफायर एक संवेदनशील प्रक्रिया है जिसे गंभीरता और ईमानदारी से निभाया जाना चाहिए।
लेकिन जब कोई देश लगातार उल्लंघन करता है और दूसरा देश उसका खुला समर्थन करता है,
तो यह शांति की संभावनाओं को खतरे में डाल देता है।
भारत के लिए अब समय आ गया है कि वह सख्त लेकिन संतुलित नीति अपनाए ताकि क्षेत्रीय शांति की रक्षा हो सके और दुश्मन को स्पष्ट संदेश मिल सके।