सोशल मीडिया की दोस्ती बनी हत्या की वजह, छह साल का बेटा रह गया अनाथ
भिवानी (हरियाणा):
हरियाणा के भिवानी जिले में एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है। एक महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने ही पति की हत्या कर दी। सोशल मीडिया के जरिए बने संबंध इस खौफनाक अपराध की वजह बने। पुलिस ने तीन दिन में मामला सुलझाते हुए पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि प्रेमी की तलाश जारी है।
झगड़े से शुरू हुई दूरियाँ, सोशल मीडिया से मिली नई नजदीकियाँ
मृतक प्रवीन राव और आरोपी रवीना राव की शादी वर्ष 2017 में हुई थी। दोनों का एक छह साल का बेटा भी है। प्रवीन पेशे से ड्राइवर था और उसे शराब पीने की लत थी। दूसरी तरफ, रवीना को सोशल मीडिया पर सक्रिय रहना, रील्स बनाना और तस्वीरें पोस्ट करना बेहद पसंद था। इन्हीं आदतों के कारण पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होते रहते थे।
इसी बीच, रवीना की नजदीकियां एक यूट्यूबर सुरेश राघव के साथ बढ़ गईं। दोनों के बीच संबंध इतने गहरे हो गए कि रवीना ने अपने पति को रास्ते से हटाने की साजिश रच डाली।
25 मार्च की रात हुई थी हत्या, शव को बाइक पर ले जाकर फेंका गया

25 मार्च की रात रवीना और सुरेश ने मिलकर प्रवीन की हत्या कर दी। हत्या के बाद दोनों ने शव को बाइक पर बैठाकर एक नाले में फेंक दिया।
तीन दिनों तक जब प्रवीन का कुछ अता-पता नहीं चला, तो परिवारजनों ने पुलिस में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई।
सीसीटीवी फुटेज से टूटा केस, पत्नी ने पूछताछ में कबूला गुनाह
जांच के दौरान पुलिस ने आसपास के क्षेत्र में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली। फुटेज में 25 मार्च की रात एक बाइक पर तीन लोगों को जाते हुए देखा गया, जिनमें बीच में एक शव रखा हुआ था। सीसीटीवी के आधार पर पुलिस ने रवीना को हिरासत में लिया। सख्त पूछताछ में रवीना ने जुर्म कबूल कर लिया। फिलहाल रवीना को जेल भेज दिया गया है और पुलिस सुरेश राघव की तलाश में दबिश दे रही है।
मासूम बेटा बना सबसे बड़ा पीड़ित
इस दर्दनाक वारदात में सबसे बड़ी त्रासदी प्रवीन और रवीना के छह साल के बेटे के हिस्से आई है। पिता की हत्या और माँ के जेल जाने के बाद बच्चा पूरी तरह से बेसहारा हो गया है।
पुलिस और तकनीक की सराहना
पुलिस की त्वरित कार्रवाई और सीसीटीवी तकनीक के बेहतर उपयोग से इस जघन्य अपराध का खुलासा बेहद कम समय में हो पाया। भिवानी पुलिस की सक्रियता ने साबित कर दिया कि आधुनिक तकनीक और मजबूत जांच टीम के दम पर अपराधियों तक पहुँच संभव है।

सोशल मीडिया से हुई हत्या और अन्य अपराध
आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया लोगों के विचार,
भावनाएं और सूचनाएं साझा करने का एक प्रमुख माध्यम बन चुका है।
जहां एक ओर इससे दुनिया भर में संवाद आसान हुआ है,
वहीं दूसरी ओर यह अपराधों का नया अड्डा भी बनता जा रहा है।
फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, ट्विटर{X} जैसे प्लेटफॉर्म अब केवल जुड़ाव के लिए नहीं,
बल्कि आपराधिक गतिविधियों के लिए भी इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया से जुड़ी हत्याएं:
हाल के वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं,
जहां सोशल मीडिया के जरिए किसी की हत्या की योजना बनी या उसका कारण बना।
उदाहरण के लिए:
ऑनलाइन दोस्ती और धोखा:
कई बार लोग फर्जी प्रोफाइल बनाकर दूसरों से दोस्ती करते हैं, फिर भावनात्मक रूप से उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। जब बात खुलती है, तो विवाद इतना बढ़ जाता है कि हत्या तक हो जाती है।
लव अफेयर और बदला:
फेसबुक या इंस्टाग्राम पर हुई दोस्ती से शुरू हुए प्रेम संबंध जब टूटते हैं, तो कई युवक-युवतियां मानसिक तनाव में आकर आत्महत्या या हत्या जैसे कदम उठा लेते हैं।
ऑनर किलिंग के मामले:
सोशल मीडिया के माध्यम से हुए अंतरजातीय प्रेम संबंधों के चलते कई बार परिवार वाले समाजिक प्रतिष्ठा के डर से हत्या कर बैठते हैं।
सोशल मीडिया पर अन्य अपराध:
साइबर बुलिंग (Cyber Bullying):
खासकर किशोरों और युवाओं को टारगेट कर के उन्हें मानसिक रूप से परेशान किया जाता है।
कई बार ये दबाव इतना बढ़ जाता है कि आत्महत्या जैसे कदम उठाए जाते हैं।
पोस्ट्स के जरिए उकसाना:
कुछ असामाजिक तत्व भड़काऊ पोस्ट डालते हैं, जिससे दंगे, मारपीट या सार्वजनिक हिंसा तक हो जाती है।
फेक न्यूज और मॉब लिंचिंग:
कई बार व्हाट्सएप या फेसबुक पर झूठी खबरें फैलाई जाती हैं,
जिससे अफवाहें फैलती हैं और भीड़ कानून अपने हाथ में लेकर निर्दोष लोगों की हत्या तक कर देती है।
केस स्टडी:
मामला – इंस्टाग्राम के जरिए हत्या (दिल्ली, 2023):
एक 16 वर्षीय लड़की ने इंस्टाग्राम पर एक लड़के से दोस्ती की।
दोनों में झगड़ा हुआ और लड़के ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर लड़की की हत्या कर दी।
यह मामला दिल्ली पुलिस के लिए एक बड़ी चेतावनी बना, क्योंकि इसमें सोशल मीडिया सीधा कारण था।
मामला – व्हाट्सएप अफवाह और मॉब लिंचिंग (झारखंड, 2019):
व्हाट्सएप पर बच्चा चोरी की अफवाह फैली। भीड़ ने एक निर्दोष व्यक्ति को पीट-पीट कर मार डाला। बाद में पता चला कि वह अफवाह पूरी तरह झूठी थी।
निष्कर्ष:
सोशल मीडिया एक दोधारी तलवार है। यदि इसका उपयोग सतर्कता और जागरूकता के साथ न किया जाए, तो यह अपराध का कारण बन सकता है। आवश्यक है कि लोग डिजिटल शिक्षित हों, बच्चों पर निगरानी रखें और फर्जी या भड़काऊ कंटेंट से बचें।