पंजाब एक बार फिर खालिस्तानी साजिशों के साए में आता दिख रहा है। हाल ही में राज्य के जालंधर और नकोदर जैसे शहरों की दीवारों पर खालिस्तान के समर्थन में पोस्टर लगाए गए, जिससे प्रशासन और आम जनता में चिंता की लहर दौड़ गई है। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, और इस साजिश के पीछे कनाडा में बैठा गुरवंत सिंह पन्नू मुख्य आरोपी बताया जा रहा है।
पुलिस की कार्रवाई और आरोप
पुलिस के अनुसार, इन पोस्टरों के ज़रिए राज्य में अशांति फैलाने और खालिस्तान समर्थक विचारधारा को बढ़ावा देने की साजिश रची जा रही थी।
मुख्य साजिशकर्ता गुरवंत सिंह पन्नू को पहले भी देशविरोधी गतिविधियों के लिए जाना जाता रहा है। पंजाब पुलिस का कहना है कि वह कनाडा से बैठकर सोशल मीडिया और स्थानीय संपर्कों के ज़रिए राज्य में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है।
क्या पंजाब खालिस्तान को समर्थन देता है?

इस सवाल का जवाब ‘नहीं’ है। पंजाब की आम जनता खालिस्तान का समर्थन नहीं करती। लेकिन सामने आकर विरोध भी नहीं करती – और इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है डर।
कई लोग मानते हैं कि पंजाब में खालिस्तान समर्थक गतिविधियों की जड़ें बहुत गहरी नहीं हैं, लेकिन कुछ प्रतिशत लोग, जो या तो बेरोजगार युवाओं को बरगलाते हैं या धार्मिक भावनाओं के नाम पर उन्हें भड़काते हैं, ऐसी गतिविधियों को हवा दे रहे हैं।
आम जनता क्यों चुप है?
पंजाब की आम जनता आज भी पिछले दौर की हिंसा और आतंक को नहीं भूली है।
80 और 90 के दशक में खालिस्तानी आतंकवाद ने पंजाब को खून से रंग दिया था।
सैकड़ों निर्दोष लोग मारे गए थे, और राज्य की शांति पूरी तरह टूट गई थी।
आज का आम नागरिक अपने परिवार, रोज़गार और शांति को प्राथमिकता देता है। वे जानबूझकर इन गतिविधियों से दूरी बनाए रखते हैं और जब सामने ऐसे पोस्टर या गतिविधियाँ दिखाई देती हैं, तो भी अनदेखा कर देना ही बेहतर समझते हैं।
अगर अभी नहीं रोका गया, तो परिणाम गंभीर हो सकते हैं
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर सरकार और प्रशासन ने समय रहते इन साजिशों पर सख्त कार्रवाई नहीं की, तो स्थिति धीरे-धीरे गंभीर हो सकती है।
खालिस्तान जैसे आंदोलन का उद्देश्य सिर्फ अलगाववाद नहीं है,
बल्कि इसके पीछे देश को तोड़ने और धार्मिक सौहार्द बिगाड़ने की साजिश भी छिपी होती है।
अगर ऐसे प्रचार को खुली छूट मिलती रही, तो भविष्य में दंगे और अशांति जैसे हालात दोबारा सामने आ सकते हैं –
जैसे कि पंजाब में पहले हो चुका है।
सरकार की भूमिका और ज़िम्मेदारी
इस समय जरूरत है कि सरकार और प्रशासन:
1. साजिशकर्ताओं पर नकेल कसें – चाहे वो देश के अंदर हों या बाहर।
2. सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ाएं, जहां से इन विचारधाराओं को बढ़ावा दिया जा रहा है।
3. आम जनता को जागरूक करें – ताकि लोग खुलकर इन गतिविधियों का विरोध करें और पुलिस का सहयोग करें।
4. सुरक्षा बलों की मौजूदगी को संवेदनशील इलाकों में बढ़ाया जाए।
निष्कर्ष: पंजाब की शांति सबसे ऊपर
पंजाब एक कृषिप्रधान, मेहनतकश और सांझी विरासत वाला राज्य है।
खालिस्तान जैसी संकीर्ण सोच न कभी वहां की बहुसंख्यक आबादी की रही है और न होगी।
लेकिन अगर ऐसी साजिशों को शुरुआत में ही कुचलकर नहीं रोका गया,
तो इसके नुकसान सबसे पहले आम जनता को ही भुगतने होंगे।
सरकार को चाहिए कि वह सख्त, निर्णायक कदम उठाए,
ताकि पंजाब की सुख-शांति और विकास की राह पर कोई बाधा न आए।
आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? क्या सरकार को और कठोर कदम उठाने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में साझा करें।
