भारत की आम जनता ने तुर्की के पाकिस्तान समर्थन पर नाराज़गी जताते हुए तुर्की के सेब, टाइल्स और टूरिज्म का बहिष्कार शुरू कर दिया है।
जानिए कैसे ‘नेशन फर्स्ट, बिजनेस लास्ट’ का नारा बन गया जनआंदोलन।

बिना वर्दी के भी देशभक्त: भारत के आम नागरिक
भारत का आम नागरिक आज यह साबित कर रहा है कि देशभक्ति के लिए न तो बंदूक की जरूरत होती है और न ही वर्दी की।
हर भारतीय के दिल में एक सिपाही बसता है, जो अपने देश की आन-बान-शान के लिए सब कुछ कुर्बान करने को तैयार है।
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव के दौरान यह एक बार फिर देखने को मिला।
तुर्की की पाकिस्तान को खुली मदद
जब भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की,
तब यह सामने आया कि तुर्की ने पाकिस्तान की खुलकर मदद की।
यह वही तुर्की है जिसे भारत ने 2023 में भूकंप त्रासदी के समय दिल खोलकर सहायता दी थी।
भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत NDRF की टीमें भेजीं, राहत सामग्री भेजी, और तुर्की की हरसंभव मदद की थी।
लेकिन बदले में तुर्की ने दोस्ती नहीं निभाई।
तुर्की ने पाकिस्तान को उन्नत ड्रोन दिए, जिन्हें भारत पर हमले के लिए इस्तेमाल किया गया।
पाकिस्तान की सेना को इन ड्रोन को चलाना तक नहीं आता था, इसलिए तुर्की ने अपने दो ऑपरेटर भी पाकिस्तान भेजे।
कहा जा रहा है कि भारत की जवाबी कार्रवाई में इन ऑपरेटरों की मौत भी हो गई।
तुर्की की गद्दारी: भारत की पीठ में छुरा
यह घटनाक्रम भारतवासियों को चुभ गया।
जिस देश ने मुश्किल वक्त में तुर्की का साथ दिया,
उसी देश ने भारत के दुश्मन का साथ देकर भारत की पीठ में छुरा घोंपा।
तुर्की की यह गद्दारी भारत की जनता के दिल में आग की तरह फैल गई।
आम लोगों का बहिष्कार अभियान
भारत में अब तुर्की के खिलाफ एक मजबूत जनांदोलन खड़ा हो गया है।
यह आंदोलन किसी राजनीतिक दल या संस्था का नहीं, बल्कि देश के आम लोगों का है।
लोग तुर्की के उत्पादों का बहिष्कार कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर “Boycott Turkey” ट्रेंड कर रहा है,
और दुकानों पर तुर्की के सामान को हटाया जा रहा है।

तुर्की के सेब की मांग में भारी गिरावट
तुर्की से भारत में आयात होने वाले APPLE’ यानी सेब की मांग में अचानक भारी गिरावट देखी गई है।
पहले जो सेब बड़े शौक से खरीदे जाते थे, अब दुकानदारों ने उन्हें अपनी दुकानों से हटाना शुरू कर दिया है।
ग्राहक भी अब तुर्की का कोई भी खाद्य उत्पाद लेना नहीं चाहते।
टाइल्स का बहिष्कार
इतना ही नहीं, तुर्की से आयात होने वाली टाइल्स की बिक्री भी रुक गई है।
भवन निर्माण से जुड़े व्यापारियों ने स्पष्ट कर दिया है कि वे अब तुर्की की कोई टाइल नहीं खरीदेंगे।
व्यापारियों का कहना है कि देशहित सर्वोपरि है, और वे ऐसा कोई माल नहीं बेचना चाहते जिससे दुश्मन को आर्थिक फायदा पहुंचे।
पर्यटन क्षेत्र को भी झटका
हर साल करीब 3 लाख भारतीय पर्यटक तुर्की की यात्रा करते थे,
जिससे तुर्की को लगभग 4000 करोड़ रुपये का फायदा होता था।
लेकिन अब भारत के ट्रैवल एजेंट्स ने तुर्की को टूर पैकेज में शामिल करना बंद कर दिया है। कई एजेंसियों ने तो अपने ऑफिस के बाहर बोर्ड लगा दिए हैं – “No Tours to Turkey”।
राष्ट्र प्रथम, व्यापार बाद में
भारत की आम जनता अब इस नारे को अपना चुकी है – “नेशन फर्स्ट, बिजनेस लास्ट।” यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि भारत के करोड़ों लोगों की भावना बन चुका है।
सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक, लोग एक स्वर में तुर्की के बहिष्कार की बात कर रहे हैं।
तुर्की का बयान, लेकिन जनता नहीं पिघली
तुर्की की सरकार ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बाद एक नोटिस जारी कर कहा था कि भारत के नागरिकों को तुर्की में कोई परेशानी नहीं होगी और उनका अच्छे से ध्यान रखा जाएगा।
लेकिन अब भारत की जनता तुर्की के शब्दों पर विश्वास करने को तैयार नहीं है।
“हमारा पैसा हमारे ही खिलाफ क्यों जाए?”
लोगों का साफ कहना है कि अगर हम तुर्की के उत्पाद खरीदते हैं या वहां घूमने जाते हैं, तो हमारी मेहनत की कमाई से तुर्की को फायदा होता है – और वही तुर्की हमारे दुश्मन पाकिस्तान की मदद करता है।
इसलिए अब जनता ने तुर्की से हर प्रकार के रिश्ते तोड़ने का मन बना लिया है।
पूरे देश में विरोध की लहर
भारत के शहरों, कस्बों और गांवों तक तुर्की के खिलाफ विरोध की लहर फैल चुकी है।
लोग खुद से जागरूक हो रहे हैं, सोशल मीडिया पर एक-दूसरे को जागरूक कर रहे हैं और दुकानदारों से तुर्की के उत्पाद हटाने की अपील कर रहे हैं।
निष्कर्ष: भारत की जनता ने दिखा दिया असली ताकत
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया कि भारत की जनता जब एकजुट होती है, तो किसी भी देश को झुका सकती है।
सरकारों के फैसलों से पहले ही आम लोगों ने तुर्की को आर्थिक तौर पर जवाब देना शुरू कर दिया है।
यह सिर्फ बहिष्कार नहीं, बल्कि एक चेतावनी है – जो भी भारत के खिलाफ जाएगा, उसे हर स्तर पर विरोध का सामना करना पड़ेगा।
अब जनता खुद कह रही है –
“तुर्की के खिलाफ हमारी लड़ाई, हमारी आर्थिक स्वतंत्रता की नई कहानी।”