[ट्रंप] By AllIndiaUSANews14.com | Updated: April 13, 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 में फिर से चुनाव लड़ने वाले डोनाल्ड ट्रंप के रुख में इन दिनों कुछ नरमी देखी जा रही है।
विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार और टैरिफ नीति को लेकर उनके हालिया बयान
और फैसलों से यह संकेत मिल रहा है कि वे अब पहले जैसे आक्रामक नहीं रह गए हैं।
चीन से जुड़े उत्पादों पर कम किए टैरिफ
ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में फोन, इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स और अन्य उपभोक्ता वस्तुओं पर लगाए गए प्रतिशोधात्मक (reciprocal) टैरिफ्स को कम करने का निर्णय लिया है।
यह फैसला विशेष रूप से चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर लागू होता है।
यह वही टैरिफ हैं जिन्हें ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत लागू किया था।
टैरिफ्स को कम करने का सीधा लाभ अमेरिकी उपभोक्ताओं और कंपनियों को मिलेगा,
क्योंकि इससे आयातित वस्तुएं सस्ती हो जाएंगी और व्यापारिक संबंधों में भी कुछ सुधार की उम्मीद है।
चीन के जवाबी कदम के बाद नरमी?

विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप द्वारा टैरिफ कम करने का यह फैसला चीन की हालिया प्रतिक्रिया के बाद आया है।
चीन ने भी अमेरिका से आने वाले कुछ सामानों पर भारी टैरिफ लगाए,
जिससे अमेरिकी कंपनियों पर दबाव बढ़ा।
शायद इसी दबाव में ट्रंप को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना पड़ा और उन्होंने कुछ टैरिफ्स हटाने या घटाने का रास्ता अपनाया।
पहले का ट्रंप, अब का ट्रंप
2016 से 2020 तक ट्रंप ने बार-बार यह दोहराया था कि अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन चीन है और वह हर हाल में अमेरिकी उद्योगों को चीन से मुक्त कराना चाहते हैं।
उन्होंने चीन पर ट्रेड वॉर छेड़ते हुए भारी भरकम टैक्स लगाए थे, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया था।
लेकिन अब जब वे 2024 में दोबारा राष्ट्रपति चुनाव की दौड़ में हैं,
उनका लहजा और नीति दोनों बदलते दिख रहे हैं।
अब वे अधिक संतुलित और रणनीतिक तरीके से फैसले ले रहे हैं,
जो यह दर्शाता है कि उन्हें भी वैश्विक व्यापार की हकीकत समझ में आ रही है।
अमेरिकी कंपनियों का दबाव
ट्रंप पर अमेरिकी टेक कंपनियों और व्यापारिक संगठनों का भी दबाव रहा है कि वे टैरिफ्स को कम करें।
चीन में उत्पादन करवाने वाली कंपनियों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था और उन्हें अमेरिकी बाजार में अपने प्रोडक्ट्स की कीमतें बढ़ानी पड़ी थीं।
इसका सीधा असर आम उपभोक्ताओं की जेब पर पड़ा।
अब जब चुनाव नजदीक हैं, ट्रंप किसी भी वर्ग को नाराज़ नहीं करना चाहते,
खासकर मिडल क्लास वोटर्स और कारोबारी तबके को।
इसलिए टैरिफ्स में ढील देना एक सोच-समझ कर लिया गया चुनावी कदम भी माना जा रहा है।
क्या यह नरमी स्थायी है?
हालाँकि ट्रंप ने फिलहाल कुछ टैरिफ्स घटा दिए हैं, लेकिन यह कहना मुश्किल है कि उनका रुख स्थायी रूप से बदल गया है।
ट्रंप की राजनीति में रणनीति तेज़ी से बदलती है और वे अक्सर परिस्थितियों के अनुसार बयानबाज़ी करते हैं।
अगर चीन की ओर से कोई उकसाने वाला कदम उठाया गया तो ट्रंप फिर से सख्त रुख अपना सकते हैं।
भारत पर क्या असर?
भारत के लिए यह नरमी राहत की बात हो सकती है।
अमेरिका और चीन के बीच तनाव कम होने से वैश्विक व्यापार पर सकारात्मक असर पड़ेगा
और वैश्विक बाजारों में स्थिरता आएगी।
साथ ही, यदि अमेरिका आयात टैरिफ्स में ढील देता है,
तो भारत के लिए भी अमेरिकी बाजारों तक पहुंच आसान हो सकती है। इससे भारत की इलेक्ट्रॉनिक और मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री को फायदा मिल सकता है।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ्स को लेकर नरम पड़ना इस बात का संकेत है कि वे अब पहले जैसे एकतरफा फैसले लेने से बचना चाहते हैं। वैश्विक व्यापार की पेचीदगियों और घरेलू राजनीतिक समीकरणों को ध्यान में रखते हुए वे अब संतुलित नीति अपनाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि यह नरमी कब तक बनी रहेगी, यह भविष्य की कूटनीतिक परिस्थितियों और ट्रंप की चुनावी रणनीतियों पर निर्भर करेगा।
