नई दिल्ली, 19 अप्रैल 2025जेएनयू कैंपस में भारी तोड़फोड़ के बाद छात्रसंघ चुनाव स्थगित कर दिया गया। एबीवीपी ने वामपंथी संगठनों पर चुनाव आयोग को दबाव में लेने का आरोप लगाया, वहीं वामपंथी दलों ने एबीवीपी पर हिंसा भड़काने का दावा किया। जानें पूरी खबर।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गया है। शुक्रवार रात को विश्वविद्यालय परिसर में हुई तोड़फोड़ की घटनाओं के बाद छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है। इस मामले को लेकर छात्र संगठनों में जबरदस्त तनातनी देखने को मिल रही है।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने वामपंथी संगठनों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि चुनाव आयोग (ईसी) वामपंथी दलों के दबाव में काम कर रहा है। एबीवीपी का दावा है कि इस बार कैंपस में उनकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है, जिससे घबराकर वामपंथी गुटों ने जानबूझकर माहौल को हिंसक बनाया और चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की।
एबीवीपी के एक वरिष्ठ छात्र नेता ने कहा,
“छात्रों के बीच एबीवीपी का समर्थन बढ़ता देख वामपंथी संगठन बौखला गए हैं। हार के डर से उन्होंने तोड़फोड़ कराई और अब चुनाव प्रक्रिया को बाधित करने का प्रयास कर रहे हैं। हम चुनाव आयोग से निष्पक्ष कार्रवाई की मांग करते हैं।”

दूसरी ओर वामपंथी छात्र संगठनों — जैसे ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AISA) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) — ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए एबीवीपी पर ही हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है। वामपंथी संगठनों का कहना है कि एबीवीपी ने जानबूझकर स्थिति को खराब किया ताकि चुनाव स्थगित हो जाए और वास्तविक जनादेश दबाया जा सके।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
विश्वविद्यालय के चुनाव आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत कार्रवाई करते हुए छात्रसंघ चुनाव प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोकने की घोषणा की है। आयोग ने बयान जारी कर कहा,
“कैंपस में व्याप्त तनाव और असामान्य परिस्थितियों को देखते हुए चुनाव प्रक्रिया को स्थगित किया गया है।
नई तिथियों की घोषणा जल्द की जाएगी। सभी छात्र संगठनों से शांति बनाए रखने
और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करने की अपील की जाती है।”
कैम्पस में माहौल तनावपूर्ण
तोड़फोड़ की घटना के बाद से जेएनयू परिसर में भारी तनाव व्याप्त है।
छात्र गुटों के बीच कई जगहों पर तीखी नोकझोंक हुई है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने पुलिस बल को अलर्ट पर रखा है
और किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा के इंतजाम बढ़ा दिए गए हैं।
राजनीतिक रंग भी चढ़ा
यह घटना सिर्फ छात्र राजनीति तक सीमित नहीं रही।
दिल्ली की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है।
कुछ नेताओं ने विश्वविद्यालय में लगातार हो रहे राजनीतिक संघर्षों पर चिंता जताई है
और शांति बहाली की मांग की है।
निष्कर्ष:
जेएनयू एक बार फिर छात्र राजनीति के हिंसक मोड़ का गवाह बना है।
आने वाले दिनों में देखना होगा कि चुनाव आयोग किस तरह से निष्पक्षता सुनिश्चित कर पाता है
और छात्र समुदाय लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते हुए आगे बढ़ता है या नहीं।
