कर्नाटक में CET के दौरान धार्मिक प्रतीकों को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। छात्रों ने आरोप लगाया कि परीक्षा अधिकारियों ने ‘शिवधारा’ और ‘जनीवारा’ हटाने को मजबूर किया। मंत्री ने सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया। पूरी खबर पढ़ें।
कर्नाटक में कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) के दौरान धार्मिक प्रतीकों को लेकर विवाद छिड़ गया है। बिदर और शिवमोग्गा जिलों में दो छात्रों ने आरोप लगाया है कि परीक्षा केंद्रों पर अधिकारियों ने उन्हें उनके पारंपरिक धार्मिक धागे — ‘शिवधारा’ और ‘जनीवारा’ को उतारने के लिए मजबूर किया। इस घटना ने पूरे राज्य में रोष और चिंता का माहौल बना दिया है।
क्या है मामला?
बिदर के एक छात्र ने शिकायत की है कि 17 अप्रैल 2025 को गणित की परीक्षा के दौरान अधिकारियों ने उसे ‘शिवधारा’ हटाने का आदेश दिया। छात्र ने जब ऐसा करने से इनकार किया, तो उसे परीक्षा से बाहर कर दिया गया। छात्र का कहना है कि इससे पहले उसने भौतिकी, रसायन और जीवविज्ञान की परीक्षाएँ उसी ‘शिवधारा’ को पहनकर दी थीं, लेकिन गणित की परीक्षा में उसे रोक दिया गया, जिससे उसका इंजीनियरिंग का सपना चकनाचूर हो गया।
वहीं, शिवमोग्गा के एक अन्य छात्र ने आरोप लगाया कि परीक्षा केंद्र के स्टाफ ने जबरन उसके ‘जनीवारा’ (पवित्र धागा) को काट दिया। यह घटना 16 अप्रैल 2025 को हुई थी। इस घटना को लेकर कर्नाटक ब्राह्मण महासभा और अन्य ब्राह्मण संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है और जिला कलेक्टर को लिखित शिकायत सौंपी है।
सरकार ने क्या कहा?

इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए उच्च शिक्षा मंत्री एम.सी. सुधाकर ने कहा,
“इन घटनाओं के बारे में मुझे आज सुबह जानकारी मिली। यदि जांच में आरोप सही पाए जाते हैं, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी।
हम सभी धर्मों और जातियों के रीति-रिवाजों का सम्मान करते हैं। ऐसा व्यवहार अस्वीकार्य है।”
मंत्री ने बताया कि प्रारंभिक रिपोर्ट के अनुसार, यह घटनाएं केवल दो केंद्रों तक सीमित हैं और कर्नाटक एग्जामिनेशन अथॉरिटी (KEA) के नियमों में इस तरह के किसी प्रतिबंध का प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा,
“जो भी अधिकारी इसमें दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ न सिर्फ कार्रवाई होगी,
बल्कि आगे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भी कड़े निर्देश जारी किए जाएंगे।”
छात्र के भविष्य के लिए समाधान
बिदर के छात्र, जो गणित की परीक्षा नहीं दे पाया, को लेकर भी मंत्री सुधाकर ने संवेदनशीलता दिखाई।
उन्होंने कहा कि यदि छात्र के आरोप सही साबित होते हैं, तो उसके लिए विशेष समाधान तलाशा जाएगा।
“हम जानते हैं कि एक परीक्षा छात्र के पूरे करियर को प्रभावित कर सकती है।
हम रिपोर्ट मिलने के बाद इस पर गंभीरता से विचार करेंगे।”
हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अब तक किसी भी छात्र के लिए अलग से री-टेस्ट (पुनः परीक्षा) आयोजित नहीं किया गया है,
लेकिन इस मामले में विशेष परिस्थिति को देखते हुए विचार किया जाएगा।
शिवमोग्गा में तुरंत कार्रवाई के आदेश
स्कूल शिक्षा मंत्री और शिवमोग्गा जिले के प्रभारी मंत्री मधु बंगरप्पा ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि दोषी अधिकारियों को तत्काल निलंबित किया जाए।
“धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ करना गंभीर अपराध है। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।” — मधु बंगरप्पा ने कहा।
धार्मिक भावनाओं पर गहरी चोट

‘जनीवारा’ और ‘शिवधारा’ हिंदू संस्कृति में गहन धार्मिक महत्व रखते हैं।
इन धागों को किसी भी धार्मिक अनुष्ठान या संस्कार के बाद धारण किया जाता है
और इसे हटवाना या काटना धार्मिक असहिष्णुता माना जाता है।
इसलिए, इन घटनाओं ने केवल छात्रों को ही नहीं, बल्कि समाज के एक बड़े वर्ग को भी आहत किया है।
जनभावना और आगे की राह
इस विवाद ने कर्नाटक सरकार को परीक्षा केंद्रों पर धर्मनिरपेक्षता
और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संतुलन को लेकर नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इन घटनाओं पर क्या अंतिम निर्णय लेती है
और छात्रों के भविष्य को कैसे सुरक्षित करती है।