नोएडा में सामने आया उबर फ्रॉड: फर्जी ड्राइवर और पैसेंजर बनकर हर महीने हज़ारों की ठगी।
जानिए कैसे काम करता था ये रैकेट और कैसे हुआ इसका भंडाफोड़।
Uber में एक नई धोखाधड़ी का खुलासा हुआ है, जहां आरोपी खुद ही ड्राइवर और पैसेंजर बनकर ऐप को ठग रहे थे।
जानिए पूरी कहानी।
आज के डिजिटल दौर में जहाँ कैब सर्विस ने सफर को आसान बना दिया है,
वहीं कुछ लोग इसका फायदा उठाकर कंपनियों को भारी चूना लगाने में लगे हुए हैं।
हाल ही में नोएडा से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है,
जहां उबर ऐप के ज़रिए हर महीने हजारों की ठगी की जा रही थी – वो भी बेहद चालाकी से।
कैसे सामने आया Uber में फ्रॉड?

घटना तब सामने आई जब नोएडा पुलिस रात के समय गश्त कर रही थी। पुलिस को एक संदिग्ध कार सड़क किनारे खड़ी मिली। जब वे जांच के लिए पास पहुँचे, तो कार में बैठे दो युवक पुलिस को देखकर भाग खड़े हुए।
पुलिस को शक हुआ और उन्होंने कार की तलाशी ली। जांच में जो सामने आया, वह हैरान कर देने वाला था – कार के अंदर 50 मोबाइल फोन और करीब 500 आधार कार्ड मिले।
क्या था ठगी का तरीका?
इन आरोपियों ने उबर ऐप के बोनस सिस्टम का गलत इस्तेमाल किया। उबर में लंबी दूरी की बुकिंग (जैसे दिल्ली से पंजाब) पर जब ड्राइवर 15-20 किलोमीटर तक गाड़ी चला लेता है या लगभग 30 मिनट की ड्राइव हो जाती है, तो कंपनी ड्राइवर के खाते में 7000 से 8000 रुपये एडवांस भेज देती है।
इस सिस्टम का फायदा उठाते हुए आरोपियों ने:
खुद ही फर्जी पहचान से ड्राइवर और पैसेंजर की अलग-अलग IDs बनाईं।
खुद ही टैक्सी बुक की और खुद ही ड्राइवर बनकर उसे चलाया।
जैसे ही गाड़ी कुछ किलोमीटर चलती और बोनस मिल जाता, उसी समय ड्राइवर की ID ब्लॉक कर देते।
कंपनी को न तो पूरा ट्रिप मिला, न पेमेंट, और न ही कोई असली ग्राहक।
इस तरह का फर्जीवाड़ा कर ये लोग हर महीने 50,000 से 60,000 रुपये तक कमा लेते थे।
इतने सारे आधार कार्ड कहाँ से आए?
जांच में पता चला कि ये आरोपी अलग-अलग लोगों के आधार कार्ड का इस्तेमाल कर फर्जी उबर IDs बनाते थे। कुछ कार्ड खरीदे गए थे, जबकि कुछ ऑनलाइन डेटा लीक से प्राप्त किए गए थे।
क्या केवल Uber ही निशाने पर है?
नहीं, पुलिस को आशंका है कि ऐसे फ्रॉड Ola, Rapido और अन्य कैब कंपनियों में भी हो सकते हैं। कैब कंपनियों के सिस्टम में अगर सही सुरक्षा न हो, तो इस तरह के फर्जी अकाउंट से कंपनियों को लाखों का नुकसान हो सकता है।
कैसे बचा जा सकता है इस तरह के फ्रॉड से?
1. कैब कंपनियों को ड्राइवर और पैसेंजर दोनों की KYC को मजबूत करना होगा।
2. लाइव फोटो वेरिफिकेशन, फेस स्कैन जैसे बायोमेट्रिक फीचर जरूरी हैं।
3. बोनस सिस्टम को केवल तभी लागू किया जाए जब यात्रा पूरी हो जाए और ग्राहक द्वारा पुष्टि की जाए।
4. फर्जी दस्तावेजों की पहचान के लिए AI आधारित डिटेक्शन सिस्टम जरूरी है।
5. आधार कार्ड और मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन को अपडेट और सुरक्षित रखा जाए।
पुलिस की कार्रवाई जारी
नोएडा पुलिस ने कार और बरामद किए गए मोबाइल व आधार कार्ड अपने कब्जे में लेकर जांच शुरू कर दी है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन आरोपियों के संपर्क में कौन-कौन लोग थे और कहीं इस फ्रॉड में कोई बड़ा गैंग तो शामिल नहीं।
निष्कर्ष
यह मामला इस बात की चेतावनी है कि टेक्नोलॉजी की ताकत को अगर सही दिशा में न इस्तेमाल किया जाए, तो वही सिस्टम धोखाधड़ी का शिकार बन सकता है। अब समय आ गया है कि कैब सर्विस कंपनियाँ अपने सिक्योरिटी सिस्टम को अपग्रेड करें और यूज़र्स भी सतर्क रहें।
