अजय राय का विवादित बयान: राफेल और भारतीय सेना[Army] का मजाक?

कांग्रेस नेता अजय राय ने राफेल और भारतीय सेना का मजाक उड़ाया, जिससे पाकिस्तान को फायदा मिला। जानिए कैसे ऐसे बयान देश की सुरक्षा पर असर डालते हैं।

अजय राय

प्रस्तावना

भारत जैसे महान देश के सामने आज एक अहम सवाल खड़ा हो गया है – क्या हमारे सबसे बड़े दुश्मन वे हैं जो सरहद पार बैठकर हमें नुकसान पहुंचाना चाहते हैं,

या वे लोग हैं जो इसी देश में रहकर, मित्रता का मुखौटा पहनकर, देश की जड़ें खोखली करने में लगे हैं?

यह सवाल तब और भी गंभीर हो जाता है जब देश के ही कुछ नेता हमारी सेना,

हमारी तकनीकी शक्ति और राष्ट्रीय सुरक्षा का मजाक बनाते नजर आते हैं।

कांग्रेस नेता का शर्मनाक बयान

हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने एक ऐसा बयान दिया है,

जिससे न केवल देशवासियों की भावनाएं आहत हुई हैं,

बल्कि पाकिस्तान को भी भारत की सेना का मजाक उड़ाने का मौका मिल गया है।

अजय राय ने एक ‘राफेल’ फाइटर जेट के खिलौने को लेकर उस पर हरी मिर्च और नींबू लटका दिए,

और इस ‘टोने-टोटके’ के माध्यम से भारत की वायुसेना की ताकत का उपहास उड़ाया।

क्या यह एक सामान्य मजाक था?

नहीं, यह केवल मजाक नहीं था, बल्कि भारत की सैन्य शक्ति को नीचा दिखाने और सेना का मनोबल तोड़ने का एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण प्रयास था।

खासकर तब, जब भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच तनाव की स्थिति बनी हुई है,

ऐसे में इस तरह के बयान और प्रदर्शन देश की सुरक्षा के लिए खतरे का संकेत देते हैं।

पाकिस्तान में छाया अजय राय का बयान

अजय राय के इस घटिया प्रदर्शन को पाकिस्तान के मीडिया में जमकर दिखाया जा रहा है।

वहां की मीडिया इस ‘मजाक’ को आधार बनाकर भारतीय सेना और राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमान की ताकत पर सवाल उठा रही है।

यानी जो काम दुश्मन देश के मीडिया को करना चाहिए, वह यहां भारत के ही नेता कर रहे हैं।

देश की छवि को पहुंचा नुकसान

जब भारत के नेता ही सेना और देश की तकनीकी उपलब्धियों का मजाक बनाते हैं,

तो इससे वैश्विक स्तर पर भारत की छवि खराब होती है।

पाकिस्तान और अन्य शत्रु देश इसे भारत की कमजोरी के रूप में प्रचारित करते हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देश की साख पर असर पड़ता है।

सिर्फ अजय राय नहीं, कांग्रेस का ट्रैक रिकॉर्ड भी सवालों के घेरे में

अजय राय

यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के किसी नेता ने भारतीय सेना पर सवाल उठाए हैं।

इससे पहले भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता चरणजीत सिंह चन्नी ने सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हुए सेना से सबूत मांग लिए थे।

यह वही सर्जिकल स्ट्राइक थी, जिससे भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब दिया था

और आतंकियों के कई ठिकानों को नष्ट कर दिया था।

राहुल गांधी के दोहरे मापदंड

एक तरफ राहुल गांधी कहते हैं कि वह देश के साथ खड़े हैं, दूसरी ओर उन्हीं की पार्टी के नेता भारतीय सेना का अपमान करने से नहीं चूकते।

क्या इसी को ‘देश के साथ खड़े होना’ कहते हैं?

यदि पार्टी का नेतृत्व सच में देश के साथ है, तो फिर ऐसे नेताओं पर तुरंत कार्रवाई क्यों नहीं की जाती?

सेना के मनोबल पर पड़ता है असर

सेना का सबसे बड़ा बल उसका मनोबल होता है।

जब देश के नेता ही सेना का मजाक उड़ाते हैं, उनकी क्षमताओं पर सवाल उठाते हैं,

तो इसका सीधा असर सैनिकों के आत्मबल पर पड़ता है।

ऐसे में जब युद्ध जैसे हालात बनते हैं, तो सैनिकों को पीठ पर हाथ रखने की जरूरत होती है, न कि उनकी पीठ में छुरा घोंपने की।

राजनीति के नाम पर देशहित को नजरअंदाज

राजनीति में मतभेद होना स्वाभाविक है, परंतु यह मतभेद उस हद तक नहीं जाने चाहिए जहाँ देशहित ही ताक पर रख दिया जाए।

राफेल विमान और भारतीय सेना का मजाक बनाना राजनीति नहीं, राष्ट्रविरोध है

क्या यह देशद्रोह नहीं है?

जब देश के ही नेता, जिनके लाखों फॉलोअर्स होते हैं,

ऐसे देशविरोधी बयानों से माहौल बिगाड़ते हैं, तो यह सीधा-सीधा देशद्रोह के बराबर माना जाना चाहिए।

अजय राय जैसे नेताओं को यह समझना चाहिए कि लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ यह नहीं कि आप देश के सुरक्षा तंत्र पर ही हमला करने लगें।

ऐसे नेताओं पर हो कड़ी कार्रवाई

यदि देश की सुरक्षा को लेकर कोई भी व्यक्ति—

चाहे वह कितना ही बड़ा नेता क्यों न हो—इस प्रकार की गैरजिम्मेदाराना हरकत करता है,

तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।

वरना यह सिलसिला कभी रुकेगा नहीं, और देश की एकता-अखंडता पर लगातार चोट होती रहेगी।

निष्कर्ष: देशभक्ति केवल भाषणों से नहीं, कर्मों से साबित होती है

आज भारत को ऐसे नेताओं की जरूरत है जो सेना के साथ खड़े हों,

जो दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब देने की बात करें, न कि उनका मजाक बनाएं।

देशभक्ति केवल मंचों से भाषण देने से नहीं होती, उसे कर्मों से साबित करना होता है।

अजय राय जैसे नेता अगर सेना की निंदा करेंगे तो इससे साफ जाहिर है कि उनकी प्राथमिकता देश नहीं, बल्कि सस्ती लोकप्रियता है।

अब समय आ गया है कि देशविरोधी मानसिकता रखने वालों को सख्त संदेश दिया जाए—जो देश के खिलाफ जाएगा, उसके खिलाफ देश खड़ा होगा।

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